Chhattisgarh: बेल्जियम में लाखों का पैकेज छोड़कर लौटा युवा, आदिवासी महिलाओं के साथ मिलकर बना ली कंपनी
जशपुर जिलें के एक युवा वैज्ञानिक कुछ दिनों पहले तक बेल्जियम में थे और बेल्जियम में लाखों की नौकरी छोड़कर अपने जशपुर वापस आ गए.
Jashpur News: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिलें के एक युवा वैज्ञानिक कुछ दिनों पहले तक बेल्जियम में थे और बेल्जियम में लाखों की नौकरी छोड़कर अपने जशपुर वापस आ गए. क्योंकि उनका एक उद्देश्य था कि यहां के लोगों के साथ मिलकर कुछ ऐसा काम करें जिससे यहां के लोगों का भी फायदा हो और क्षेत्र का विकास भी हो. उन्होंने कुछ ऐसे प्रोडक्ट तैयार किए है जिसकी मार्केट वैल्यू काफी अच्छी है और जो प्रोडक्ट तैयार किए है वो काफी उपयोगी भी है.
दरअसल, बेल्जियम में लाखो के पैकेज को छोड़कर अपने घर लौटे युवा वैज्ञानिक का नाम सामर्थ्य जैन है. जो पहले बेल्जियम में वैज्ञानिक थे. सामर्थ्य जैन बचपन से भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के फैन थे. उन्होंने बताया कि उनकी जीवन दशा उन्ही के कारण बदली थी. वे जब दसवीं क्लास में थे उस समय राष्ट्रपति बनने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम छत्तीसगढ़ आए. थे. तो हर जिले से कुछ चुने हुए छात्रों को उनसे कुछ समय मीटिंग के लिए बुलाया गया था. तो उसमे सामर्थ्य जैन भी शामिल हुए और डॉ. कलाम से आधे घंटे तक चर्चा हुई और उनसे वे काफी प्रभावित हुए.
बेल्जियम से वतन लौटे सभी
वर्तमान में सामर्थ्य जैन जशपुर जिले में घरेलू आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षित कर के उन्ही के साथ मिलकर अपनी कंपनी बना ली है और अब करीब दर्जन भर प्रकार की चायपत्ती और बायो प्रोडक्ट तैयार कर विदेशों तक भेजने की तैयारी कर रहे है. वहीं खास बात है कि सभी प्रोडक्ट स्थानीय रॉ मटेरियल से तैयार किए जा रहे हैं. इससे जिले में स्थानीय लोगों को रोजगार और पहचान मिल रहा है. बता दें कि कोविड काल में सामर्थ्य जैन ने महुआ से सेंटाइजर बनाया था. जो काफी चर्चा में रहा और इससे महिलाओं को काफी फायदा भी हुआ. इसके अलावा राज्य सरकार ने भी इसकी सराहना की थी.
सामर्थ्य जैन ने बताया कि किसानों को ध्यान में रखकर, यहां जो चीजें प्राकृतिक रूप से मिलती है. जैसे गेंदे के फूल, उसकी चाय की डिमांड दिल्ली, बॉम्बे और विदेशों में काफी ज्यादा है क्योंकि वो स्किन के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है. उसी तरह से एक ठेपा होता है जिसकी चटनी खाते है. उसकी चाय खून को साफ करने में, खून बढ़ाने में और काफी चीजों में फायदेमंद होती है. इसके अलावा जशपुर में गिलोय, अडूसा, मूनगा है. जिसकी सुखी पत्तियां, गिलोय का चूर्ण, इनके कैप्सूल, ये सब प्रोडक्ट बाहर में काफी डिमांड ने रहते है. यहां इनका वैल्यू इसलिए नहीं रहता क्योंकि कोई उसने प्रोसेसिंग नहीं करता. तो यही प्रयास है की हर्बल आइटम में गिलोय, मूनगा, अडूसा तीन मेन है.
सबसे पहले इसका सुखा चूर्ण तैयार करते है और दो तरह से इसका मार्केटिंग करने का प्रयास किया जाता हैं. एक हमारी लोकल लेवल पर कंपनी है जय, जंगल कंपनी. ये पूरी किसानों की कंपनी है. किसी की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होती. इस कंपनी में शुरू के 8 मेंबर आदिवासी है. ये महिलाएं पहले समूह में छोटा मोटा काम रहता था वो करती थी या दैनिक वेतन वाला काम करते थे. उन्होंने आगे बताया कि जब ग्रामीण महिलाओं का उनसे जुड़ाव हुआ तो उनमें सीखने की इच्छा बहुत ज्यादा थी.
वर्तमान में सामर्थ्य जैन की कंपनी में 12-15 तरह की चाय है. हविस्कस, मैरीगोल्ड, रोज, तुलसी, मोरिंगा, लेमन ग्रास है. ये सब चाय कैसे बनानी है. ये सारी प्रोसेस सामर्थ्य जैन ने प्रोसेस किया और महिलाओं को बताया और अब सारा काम महिलाएं खुद कर लेती है. ये सब प्रोडक्ट बनाने के लिए शुरुआत में रॉ मटेरियल बाहर से मंगाया गया लेकिन अब सारे रॉ मटेरियल यहीं उगाना शुरू कर दिया गया है. इस कम्पनी में वर्तमान में 300 से ज्यादा किसान जुड़े हुए है.
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