Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में धान की फसल पर अदृश्य मकड़ी का अटैक, बाजार में बिक रही दवाई भी बेअसर
Chhattisgarh News: धान की फसल में एक अदृश्य मकड़ी का अटैक हो रहा है. जिसका साइंटिफिक नाम पेनिकल राईस माईट है. इस अटैक से किसानों की धान की फसल बर्बाद हो रही है.
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Raipur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में धान के किसानों के साथ बड़ा धोखा हो रहा है. अमानक कीटनाशक दवाई फसल को अदृश्य मकड़ी से बचाने में सक्षम नहीं है. किसानों को प्रति एकड़ में 4 से 5 क्विंटल धान की फसल बर्बाद हो रही है. सारंगढ़ के एक किसान ने दावा किया है की उनकी 4 एकड़ की फसल में करीब 20 क्विंटल का नुकसान हुआ है. इसलिए उन्होंने बाजार में आ रही फर्जी दवाइयों पर रोक लगाने के लिए सरकार से गुहार लगाई है.
बाजार में अदृश्य मकड़ी के लिए असरदार दवाई नहीं
दरअसल धान की फसल में एक अदृश्य मकड़ी का अटैक हो रहा है. जिसका साइंटिफिक नाम पेनिकल राईस माईट है. जो बेहद घातक कीट है. ये धान पर उस समय अटैक करती है जब धान की फसल 60 से 70 दिन का होता है. ये वही वक्त होता है जब धान की बालियों में दूध भरता है. लेकिन ये मकड़ी उसी समय धान की बाली को पंचर कर देती है.इसके बाद उस पंचर जगह पर फफूंद का आक्रमण हो जाता है. जिससे बाली के कुछ हिस्से पूरी तरह से बर्बाद होकर काले- भूरे रंग के हो जाते है.
प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल धान का नुकसान
छत्तीसगढ़ के प्रमुख धान की उपज लेने वाले जिलों में इस मकड़ी का प्रकोप देखा जा रहा है. जहां प्रति एकड़ 25 क्विंटल धान का उत्पादन होता है लेकिन मकड़ी के अटैक से एकड़ में 4 से 5 क्विंटल का नुकसान हो रहा है. सारंगढ़- बिलाईगढ़ जिले के किसान सुरेश बारले ने एबीपी न्यूज को बताया कि एक एकड़ में करीब 25 क्विंटल धान निकलता है. इसमें से बहुत बड़ा हिस्सा मकड़ी के चलते नुकसान हो जाता है. पिछले साल 4 एकड़ में धान की खेती किया था जिसमे करीब 20 क्विंटल धान का नुकसान हुआ है. इस बार नए फसल में भी मकड़ी से फसल बचाने के लिए नए कंपनी की दवाई का इस्तेमाल किया था. लेकिन इस बार भी दवाई असर नहीं दिख रहा है. धान की बालियों में फिर से काले - भूरे रंग हो रहे है. कीटनाशक दवाई के इस्तेमाल के बाद दवाई का कोई असर नहीं है.
पेनिकल राईस माईट को कैसे पहचाने ?
इसे अदृश्य कीट इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि किसानों को मकड़ी के आक्रमण का पता नहीं चल पाता है. पेनिकल राईस माईट खुले आंखों से आसानी से दिखाई नहीं देता, इसे लीफ शीथ के अंदर देखने के लिए न्यूनतम 10x लेंस की आवश्यकता होती है लीफ शीथ के आंतरिक सतहों में दर्पण या मोबाइल पर हल्के से हिलाकर ध्यान से देखने पर छोटे-छोटे पारदर्शी भूरे रंग के मकड़ी चलते हुए देख सकते है.
अमानक कीटनाशक बाजार में बिक रही
अब सवाल ये उठ रहे है कि, दवाई विक्रेता फर्जी - अमानक दवाई बाजार में खुलेआम बेच रहे है. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. आखिरी इन दवाइयों को राज्य में बिक्री के लिए किन मापदंडों से अधिकारी अप्रूवल दे रहे है. कुछ दवाई विक्रेताओं से एबीपी न्यूज ने बातचीत किया तो उन्होंने ये स्वीकार किया की बिना पंजीयन वाली दवाई भी बाजार में बिक रही है. इसको रोकने के लिए सरकारी अधिकारी को एक्टिव रहना पड़ेगा क्योंकि धान में लगी बीमारी से ग्रामीण स्तर के किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
कृषि विभाग के अधिकारी भी जांच में जुटे
वहीं कृषि विभाग के अधिकारी एस सी पदम ने बताया है कि इस मामले में लगातार कार्रवाई की जा रही है.कृषि विभाग की टीम कीटनाशक औषधियों के गुणवत्ता की भी लगातार जांच कर रही है. जांच पड़ताल टीम में अब तक कुल 23 सेम्पल विभिन्न फर्मों से लिए हैं, जिसमें से 17 नमूनों का विश्लेषण करने पर सभी सैम्पल मानक स्तर के पाए गए हैं. 4 सैंपल निरस्त हुए हैं और 2 सैंपल की जांच जारी है.
किसान एक्सपर्ट की सलाह पर दवाई का इस्तेमाल करें
इसके अलावा मकड़ी से फसल को बचाव के बारे में आईजीकेवी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि धान की फसलों में कीटनाशकों के बेतहाशा इस्तेमाल से कुदरती दुश्मन मकड़ी , कीट,परजीवी ,ततैया अधिक प्रभावी हो गए है. ये भी कहा जा सकता है कि इनकी कीटनाशकों से लड़ने की क्षमता बढ़ गई है. किसान एक्सपर्ट की सलाह लेने बाद ही दवाइयों का इस्तेमाल करें.
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