Koriya News: सरकार की योजनाओं को कितने बेहतर ढंग से कोरिया जिले में कागजों में सफलतापूर्वक पूर्ण किया जा रहा है, इसे देखना है तो कोरिया जिला आकर देखा जा सकता है. नल जल योजना की बात हो या गोठानों की बात, शासन की इन योजनाओं का लाभ भले ही आम जनों को न मिला हो, लेकिन संबंधित अधिकारियों व ठेकेदारों को जरूर मिला है और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जब बच्चों की सुरक्षा व सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए करोड़ों रुपए की बजट मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत जारी किया गया.


ताकि स्कूल खुलने से पहले सभी शासकीय स्कूल जहां मरम्मत की जरूरत है कार्य पूर्ण कर लिए जाए और बच्चे बेहतर परिवेश के साथ सुरक्षित रूप से स्कूलों में अपना अध्यापन कार्य पूर्ण करे, लेकिन कोरिया जिले की कहानी ऐसी है कि महीनों बाद भी आज तक शासकीय स्कूलों की पूर्ण रूप से मरम्मत नहीं हो सकी. बच्चे जर्जर भवनों में भी असुरक्षित ढ़ग से पढ़ने को मजबूर है. पूरे जिले में स्कूलों के मरम्मत की जिम्मेदारी आरईएस विभाग की है.


मुख्यालय में मुख्यमंत्री जतन योजना का हाल


कोरिया जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के जर्जर स्कूलों के मरम्मत की कहानी को छोड़ दिया जाये, तो कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में ही मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत कार्यों की हकीकत सामने है. नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला वार्ड क्रमांक 10 बाजार पारा में आज तक मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के अंतर्गत छत की मरम्मत नही होने के कारण स्कूली बच्चे सुरक्षित ढंग से पढ़ने को मजबूर है. छत से पानी टपकता है इसलिए अंदर से ही पन्नी लगा दिया गया है. इस स्कूल में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 26 है. कोरिया जिले में किस कदर शासकीय योजनाओं को कागजों में सफल घोषित किया जा रहा है, इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.


गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायत


कोरिया जिले में लगातार विभिन्न निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर शिकायत होती रही है, लेकिन प्रशासनिक कार्यवाही के अभाव में कुछ भी सुधार नहीं हो रहा, एक बार फिर से गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों का खेल मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार कोरिया जिले में 357 स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार के लिए उक्त योजना के तहत चयन किया गया है. जिसमें से 259 प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई एवं 98 प्रशासकीय स्वीकृति शेष है. स्कूल प्रारंभ होने तक अभी भी मरम्मत के कार्य पूर्ण नहीं हो सके है. कई स्कूलों में खानापूर्ति के नाम से मरम्मत किये गये, वही अनेक स्कूलों में मरम्मत के बाद भी छत से पानी टपक रहा है.


इंजीनियर आए थे देखकर चले गए


इस संबंध में विद्यालय के प्रधान पाठक सुधा गुप्ता ने बताया कि छत से पानी टपकने के कारण ही अंदर से पन्नी लगाया गया है. पहले भी इंजीनियर आकर देखकर चले गये, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है.