Bastar News: देश में मिनी नियाग्रा  के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद चित्रकोट वाटरफॉल का दीदार आम पर्यटक नहीं कर सकेंगे, दरअसल आगामी 17 और 18 नवंबर को यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में होने वाले बस्तर विकास प्राधिकरण की पहली बैठक को लेकर चित्रकोट- वाटरफॉल पर्यटन स्थल को  दो दिनों के लिए पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है.


बताया जा रहा है कि ऐसा सुरक्षा की दृष्टिकोण से किया गया है, यह पहली बार है जब कोरोनाकाल में लॉकडाउन के बाद चित्रकोट वाटरफॉल पर्यटकों के लिए बंद किया जा रहा है, हालांकि इसको लेकर पर्यटकों में भी नाराजगी है, अचानक दिए गए इस सूचना से देश के कोने-कोने से इस खूबसूरत वाटरफॉल का नजारा देखने आने वाले पर्यटकों को इन दो दिनों तक मायूस होकर वापस लौटना पड़ सकता है. हालांकि जिला प्रशासन ने लिखित में चित्रकोट वाटरफॉल पर्यटन स्थल को 17  और 18 नवंबर को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है.


बस्तर विकास प्राधिकरण की रखी गयी है बैठक
बस्तर कलेक्टर एस.हरीश ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय  17 नवंबर रविवार को चित्रकोट पर्यटन स्थल पहुंच रहे हैं ,यहां भाजपा सरकार बनने के बाद बस्तर विकास प्राधिकरण की पहली बैठक रखी गई है, इस बैठक में मुख्यमंत्री के साथ बस्तर संभाग के तमाम प्रशासनिक अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे, मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक 18 नवंबर को होगी, सुरक्षा की दृष्टिकोण से चित्रकोट वाटरफॉल पर्यटन स्थल को आम पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है और इसके लिए आदेश भी जारी किया गया है. 


आगामी 17 और 18 नवंबर को आम पर्यटक इस चित्रकोट वाटरफॉल का दीदार नहीं कर सकेंगे. हालांकि बस्तर जिले के अन्य पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए खुले रहेंगे केवल चित्रकोट वाटरफॉल पर्यटन स्थल को पर्यटकों के लिए दो दिनों के लिए बंद किया गया है.... मुख्यमंत्री 17 नवंबर को चित्रकोट के सरकारी रिसोर्ट में  रात्रि विश्राम करेंगे और 18 को होने वाली बैठक के बाद रायपुर रवाना होंगे.


कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने लगाया आरोप 
इधर पहली बार चित्रकोट वॉटरफॉल पर्यटन स्थल को आम पर्यटकों के लिए बंद किए जाने से इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है ,कांग्रेस ने इसे  मुद्दा बना लिया है ,कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य का कहना है कि यह बैठक पूवर्ती सरकार की तरह ही संभाग आयुक्त कार्यालय में किया जाना चाहिए, लेकिन आम पर्यटकों को परेशान करने के लिए यह बैठक चित्रकोट पर्यटनस्थल में रखी गई है, अगर इससे यहाँ पहुचने वाले सैकड़ो पर्यटकों को नुकसान होता है तो इसकी भरपाई कौन करेगा.


सुशील मौर्य ने यह भी कहा कि जिस तरह से कांग्रेस सरकार में बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष स्थानीय कांग्रेस के  जनप्रतिनिधियो को बनाया गया था, उसी तर्ज पर भाजपा सरकार में भी बस्तर के किसी  भाजपा विधायक को  ही प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया है.


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