Jagannath Rath Yatra: सीएम भूपेश बघेल ने निभाई छेरापहरा की रस्म, सोने की झाड़ू से साफ किया रथयात्रा मार्ग
Jagannath Rath Yatra 2023: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा धूमधाम से निकाली गई जिस दौरान सीएम भूपेश बघेल और राज्यपाल हेमचंदन बिस्वा भी मौजूद रहे.
Raipur News: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार (20June) को रथयात्रा (Rathyatra) धूमधाम से मनाया गया है. रायपुर के गायत्री नगर स्थिति जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) में रथ यात्रा में विशेष रस्म के साथ रथ यात्रा निकाली गई है. यहां भगवान की प्रतिमा को रथ तक लेकर जाते है तो रास्ते को सोने के झाड़ू से साफ किया जाएगा. इसे छेरापहरा रस्म कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल हेमचंदन बिस्वा (Hemchandan biswa) और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel)ने छेरापहरा की रस्म निभाई है.
CM ने सोने के झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई
दरअसल राजधानी रायपुर के गायत्री मंदिर में पूरी (Puri)के जगन्नाथ रथ यात्रा की तर्ज पर पुरानी परंपरा निभाई जाती है. पहले राजा महाराजा इस कार्यक्रम में शामिल होते थे अब राज्य के प्रमुख इस रथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छेरापहरा की रस्म पूरी कर सोने की झाड़ू से बुहारी लगाकर रथ यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रभु जगन्नाथ को अपने सिर पर विराजित करके रथ तक लेकर गए.
CM ने भगवान से बारिश के लिए की प्रार्थना
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भगवान से बारिश के लिए प्रार्थना की है. छत्तीसगढ़ के किसानों को बारिश के पानी की जरूरत है. बता दें कि इस साल मानसून 10 दिन लेट हो चुका है. इसके बाद अभी ये तय नहीं हो पाया है कि मानसून छत्तीसगढ़ में कब तक दस्तक देगा. लेकिन मौसम विभाग रोजाना हीट वेव के लिए अलर्ट जारी कर रही है. क्योंकि राज्य में मानसून की देरी ने गर्मी बढ़ा दी है और इससे किसानों की बेचैनी बढ़ गई है.
ओडिशा के तर्ज पर होता है छत्तीसगढ़ में रथ यात्रा
गौरतलब है कि रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य की जाना जाता है. लेकिन ओडिशा का पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी इसका बड़ा प्रभाव है. ओडिशा से लगे जिलों में गांव-गांव आज रथ यात्रा निकाली गई है. इसमें प्रभु जगन्नाथ, भैया बलदाऊ और बहन सुभद्रा की खास अंदाज में पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बताते है कि उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच की यह साझेदारी अटूट है. ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण-तीर्थ है. यहीं से वे जगन्नाथपुरी जाकर स्थापित हुए. शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के मीठे बेरों को ग्रहण किया था. यहां वर्तमान में नर-नारायण का मंदिर स्थापित है.