Chhattisgarh News: प्रधानमंत्री को तोहफे में दी गई बेल मेटल की नंदी आदिवासी शिल्पकारों की है पहचान, जानें- कैसे होती है तैयार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान तोहफे के रूप में भेंट की गई बेलमेटल की नंदी बस्तर के शिल्पकारो के द्वारा तैयार की गई है,संभाग के करीब300परिवार इस पारंपरिक कला से जुड़े हुए है..
Bastar Bell Metal Art: छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) अपने कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में विख्यात है. यहां के आदिवासियों द्वारा पारंपरिक रूप से बेल मेटल से बनाए जाने वाली कलाकृतियों की अपनी अलग ही पहचान है. यही वजह है कि यहां की शिल्प कलाकृतियों की डिमांड देश-विदेशों में है. वहीं ये कलाकृतियां भारत के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के घरों की भी शोभा बढ़ा रही हैं.
साथ ही देश के प्रसिद्ध स्थलों और अर्न्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट के दीवारों की खूबसूरती में भी चार चांद लगा रही हैं. शुक्रवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने एक दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ के रायपुर (Raipur) पहुंचे हुए थे, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बस्तर की इसी शिल्पकला बेल मेटल से बनी नंदी उन्हें तोहफे के रुप में भेंट की थी.
शिल्पकारों के द्वारा तैयार की गई नंदी
बस्तर की बेल मेटल से बनी नंदी आदिवासी शिल्पकारों के द्वारा तैयार की गई है. इसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगा है. बस्तर के शिल्पकला के कारोबार से जुड़े अनिल लुक्कड़ ने बताया कि कैसे बस्तर के आदिवासी पारंपरिक कलाकारों के द्वारा बेल मेटल और लोहे से शिल्पकला तैयार की जाती है और इसे बनाने में कितना समय और मेहनत लगती है.
ये आदिवासियों की पारंपरिक कला
बस्तर में शिल्पकला के जानकार अनिल लुक्कड़ ने बताया कि बेलमेटल ढोकरा आर्ट शिल्पकला आदिवासियों की पारंपरिक कला है. कई सालों से यहां के आदिवासी पारंपरिक रूप से बेल मेटल से कलाकृति तैयार करते आ रहे हैं. इसके लिए यहां के कलाकारों को देश के साथ-साथ विदेशों में सम्मान भी मिल चुका है. मुख्य रूप से बस्तर संभाग के आदिवासी लौह शिल्पकला, ढोकरा आर्ट, बेल मेटल , काष्ट कला और बांस शिल्पकला से जुड़े हुए हैं. आदिवासी एक से बढ़कर एक मूर्ति और कलाकृति तैयार करते हैं.
महिलाओं के रोजगार का यह मुख्य साधन
खासकर ये आदिवासी महिलाओं के रोजगार का यह मुख्य साधन भी है. अनिल लुक्कड़ ने बताया कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री के छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान उन्हीं के वर्कशॉप में तैयार बेल मेटल की नंदी प्रधानमंत्री को भेंट की गई. उन्होंने बताया कि इस बेल मेटल की नंदी को तैयार करने में करीब 6 से 7 दिन का समय लगता है. इसे तैयार करने के लिए शिल्पकारों को काफी मेहनत भी लगती है. ये बेल मेटल, तांबा और टिन की एक मिश्र धातु है. जिसमें मिट्टी, मोम, कॉपर और भूसे के इस्तेमाल कर 15 प्रक्रियाओं से होकर अलग-अलग कलाकृतियां तैयार की जाती है.
बेल मेटल की मूर्तियों की डिमांड
उन्होंने बताया कि देश के साथ-साथ अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी बस्तर के बेल मेटल और ढोकरा आर्ट की बनी शिल्प कलाकृतियों की काफी डिमांड है. यही वजह है कि बस्तर संभाग के 300 से अधिक आदिवासी परिवार इस पारंपरिक कला के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. अनिल लुक्कड़ ने बताया कि उन्हीं के वर्कशॉप में बड़ी संख्या में पारंपरिक शिल्पकार बेल मेटल से मूर्तियां तैयार करते हैं. इन मूर्तियों की डिमांड देश और विदेशों में है. वहीं दूसरे राज्यों के भी लोग उनके वर्कशॉप में बेल मेटल और ढोकरा आर्ट से तैयार होने वाली मूर्तियो की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
उन्होंने बताया कि यही नहीं अन्य राज्यों में भी अब बेल मेटल से अलग-अलग कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं. हालांकि पूरे देश में सबसे ज्यादा बस्तर के बेल मेटल मूर्तियों की डिमांड रहती है. वहीं देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ उद्योगपतियों और देश के प्रधानमंत्री के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति के घर में भी बस्तर के बेल मेटल से बनी कलाकृतियां उनकी घर की शोभा बढ़ा रही है.