Chhattisgarh Assembly Election 2023: देश में 2014 के बाद कांग्रेस पार्टी के लिए पतझड़ का मौसम शुरू हो गया. कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता दूसरे पार्टियों में चले जा रहे है और देश के पॉलिटिकल मैप से कांग्रेस का क्षेत्रफल का लगातार घटता जा रहा है. अभी 3 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन कई राज्यों में सरकार होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी सरकार संभाल नहीं पा रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी देशभर में सबसे ज्यादा मजबूत छत्तीसगढ़ में खुद को मानती है, लेकिन क्या 2023 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिटर्न होगी? यह एक बड़ा सवाल है.
इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस पार्टी अपने कामकाज के साथ चुनावी मैदान में उतरने वाली है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगभग एक साल से भेंट मुलाकात के जरिए सभी विधानसभा क्षेत्र के 3-3 गांव घूम रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अब तक 80 के आसपास विधानसभा क्षेत्र कवर कर लिया है. अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्ग संभाग के विधानसभा में भेंट मुलाकात कर रहे हैं.
इस भेंट मुलाकात के राजनीतिक मायनों की बात करें तो पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि मुख्यमंत्री 90 विधानसभा में कांग्रेस की मजबूती परख रहे हैं और कांग्रेस के 71 विधायकों की रिपोर्ट कार्ड देख रहे हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस के विधायकों का परफॉर्मेंस रिपोर्ट देख रहे हैं. इस मामले में हाल ही में हुए विधायक दल की बैठक में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने विधायकों को साफ-साफ कह भी दिया है कि सबको अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाना होगा और चुनाव की तैयारी में जुटना होगा.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए चुनौती
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के 71 विधायक हैं. इन सभी विधायकों को 2023 में रिपीट करना, कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. क्योंकि हर विधानसभा में कांग्रेस से चुनाव लड़ने वालों की संख्या ज्यादा है. इस वजह से कांग्रेस पार्टी परफॉर्मेंस रिपोर्ट के अनुसार ही जीतने वाली प्रत्याशियों पर ही दांव लगा सकती है.
- छत्तीसगढ़ में 29 विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है. इसमें से कांग्रेस के पास 27 विधानसभा सीट है, लेकिन आरक्षण विवाद से आदिवासी कांग्रेस सरकार से नाराज चल रहे हैं. इसका प्रभाव कांग्रेस पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है. क्योंकि भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने खुद का प्रत्याशी खड़ा किया था और चुनावी रिजल्ट में कांग्रेस-बीजेपी के बाद तीसरे पायदान पर सर्व आदिवासी समाज का प्रत्याशी था.
- कांग्रेस में आपसी गुटबाजी पार्टी को नुकसान कर सकती है. क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का धड़ा सरकार से लगातार नाराज चल रहा है. सिंहदेव ने चुनाव के ठीक पहले अपनी नाराजगी जताते हुए और सरकार में ठीक से काम नहीं कर पाने की वजह बताते हुए ग्रामीण और पंचायत विकास विभाग के पद से इस्तीफा दे दिया. इस वजह से राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब 2023 विधानसभा चुनाव में 2018 से चल रहे टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच कुर्सी की लड़ाई खत्म नहीं हुई, तो कांग्रेस पार्टी को चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है.
- छत्तीसगढ़ में पिछले 5 महीने से चल रहे ईडी अपनी कार्रवाई में कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं के घर तक पहुंची है. इसे लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार पर कोयला के कारोबार में भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रही है. वहीं ईडी की रेड विधानसभा चुनाव के नजदीक आते-आते लगातार बढ़ रही है. इसका चुनावी असर भी हो सकता है.
- छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है. क्योंकि आम आदमी पार्टी का छत्तीसगढ़ में फोकस बढ़ गया है. छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी संगठन मजबूत करने के लिए ग्राउंड पर उतर रही है. इसके अलावा पिछले महीने अरविंद केजरीवाल ने चुनावी सभा में अपना दावा ठोक दिया है. हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर है, लेकिन आम आदमी पार्टी के सक्रियता से कांग्रेस को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाया था.
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