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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh News: सीएम भूपेश बघेल का किसान अवतार, ट्रैक्टर चलाकर खेत की जुताई करते दिखे मुख्यमंत्री
CM Bhupesh Baghel News: माटी पूजन के लिए सीएम बघेल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे जहां वे कृषि अवतार में दिखे इस दौरान उन्होंने इंदिरा बीज ब्रांड का लोकार्पण भी किया.
CM Baghel Driving Tractor: छत्तीसगढ़ में शनिवार को राज्य का पारंपरिक त्योहार अक्ति और माटी पूजन दिवस मनाया जा रहा है. इसके साथ भगवान परशुराम जयंती भी मनाई जा रही है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का किसान अवतार में फिर देखने को मिला है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ट्रैक्टर चलाकर खेत की जुताई करते हुए दिखाई दे रहे हैं. मुख्यमंत्री पिछले साल भी माटी पूजन दिवस पर इसी अंदाज में दिखे थे.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्रैक्टर चलाकर की खेत की जुताई
दरअसल राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आज माटी पूजन दिवस और अक्ती त्यौहार का आयोजन किया गया है. इसी में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कृषि विश्वविद्यालय पहुंचे है. इस दौरान उन्होंने इंदिरा बीज ब्रांड का लोकार्पण किया. इसके साथ उन्होंने धरती माता की पूजा करने के बाद खेत की जुताई की है.
वहीं एक महिला किसान ने अलसी से बनी जैकेट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेंट की है. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को भगवान परशुराम के खेती और किसानी में दिए योगदान की चर्चा की. दरअसल, राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आज माटी पूजन दिवस और अक्ती त्यौहार का आयोजन किया गया है. इसी में शामिल होने के लिए ती किसानी दिए योगदान पर चर्चा की है.
भगवान परशुराम ने याद करते हुए कही ये बात
भगवान परशुराम जयंती पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भगवान परशुराम ने कृषि के क्षेत्र में कई शोध किए. भगवान परशुराम ने ही अक्षयपात्र का निर्माण किया था.भगवान परशुराम का फरसा युद्ध के साथ खेत में भी उपयोगी है. कोई अन्य औजार का ऐसा उपयोग नहीं है.आज किसान धरती माता की पूजा करते हैं और बीज छिड़कते हैं. कोंकड़ से मालाबार तक भगवान परशुराम के कई मंदिर हैं. कृषि के क्षेत्र में भगवान परशुराम का बहुत योगदान है. जैसे हम स्वास्थ्य की चिंता करते हैं वैसे ही धरती माता की भी चिंता करनी चाहिए.मिट्टी में रासायनिक खाद का उपयोग ना कर जैविक खेती की तरफ बढ़ना चाहिए. वेदों में भी कहा गया है कि प्रकृति से हम जितना लेते हैं उतना वापस भी करना चाहिए.
इसके आगे उन्होंने कहा कि हम जो भी सुविधा ले रहे हैं सभी प्रकृति से मिल रही हैं. हमें सोचना चाहिए कि हम वापस क्या कर रहे हैं. हम धरती माता को खोदते हैं उसके पहले हम उनसे अनुमति लेते हैं तब कुदाल चलाते हैं. धरती माता को जो क्षति होती है उसके लिए हम क्षमा मांगते हैं. सीएम ने यह भी कहा कि प्रदेश कृषि प्रधान है 70 से 80 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित हैं.पिछले चार सालों में कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई है. प्रदेश में उद्यानिकी और वानिकी के विकास के लिए भरपूर संभावनाएं हैं. बस्तर कॉफी अब काफी लोकप्रिय हो रहा है हम उसकी मांग की पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं. बस्तर क्षेत्र में पहले किसान मिर्ची की तोड़ाई के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाया करते थे. अब किसान खुद ही बस्तर में मिर्ची की खेती कर रहे हैं.
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