Bhupesh Baghel Inaugurated Millets Cafe In Jagdalpur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मिलेट्स मिशन (Millet Mission) के तहत जगदलपुर (Jagdalpur) शहर में भी प्रदेश के सबसे बड़े तालाब दलपत सागर परिसर में सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने सेहत बाजार मिलेट्स कैफे का शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री ने आदिवासी महिलाओं द्वारा मिलेट्स से बनाए गए उत्पादों की जमकर सराहना की. दरअसल, सेहत बाजार का संचालन मॉम्स फूड संस्था द्वारा किया जा रहा है. इस संस्था में जरूरतमंद महिलाएं जो पहले टिफिन तैयार करने का कार्य करती थीं, उनके द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है.
इस कैफे में रागी चीला, रागी दोसा, रागी इडली, रागी उपमा, रागी पकोड़ा, रागी पूरी, रागी खिचड़ी और बस्तर की फेमस महुआ चाय और काढ़ा चाय तैयार की जा रही है. बताया जा रहा है कि यहां लोगों के लिए स्वाद और सेहत से भरपूर व्यंजनों की सुविधा भी उपलब्ध होगी. मिलेट्स कैफे का शुभारंभ करने पहुंचे. मुख्यमंत्री ने कहा "पूरे छत्तीसगढ़ में मिलेट्स मीशन शुरू किया गया है. इसके कारण अब छत्तीसगढ़ देश का मिलेट्स हब बनता जा रहा है. किसान अब धान के साथ-साथ कोदो, कुटकी और रागी की खेती की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं."
सीएम बघेल ने क्या कहा
सीएम बघेल ने कहा कि राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसे राजीव गांधी किसान न्याय योजना में भी शामिल किया गया है, जिसके तहत मिलेट्स उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन के लिए प्रति एकड़ की दर से नौ हजार रुपये की सहायता भी दी जा रही है. सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है, जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के साथ-साथ इसके वैल्यू एडिशन का भी काम किया जा रहा है. इसके उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि भी हो रही है.
साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट क्रॉप वर्ष घोषित
मुख्यमंत्री ने कहा कि कि मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड सम्मान मिल चुका है और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट क्रॉप वर्ष घोषित किया है. हमारी सरकार के द्वारा मिलेट से बने व्यंजनों को लोगों की थाली तक पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में मिलेट्स कैफे खोले जा रहे हैं. इतना ही नहीं शुभारंभ के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने रागी ब्राउनी, रागी दोसा, रागी इडली और कोदो की खीर का स्वाद चखा और इसकी जमकर तारीफ भी की.
दरअसल, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में मोटे अनाज जैसे रागी, कोदो, कुटकी का पहले से ही प्रयोग इसलिए किया जाता रहा है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. विशेषज्ञों के अनुसार कोदो, कुटकी और रागी को प्रोटीन और विटामिन युक्त अनाज माना गया है. इसके सेवन से शुगर और बीपी जैसे रोग में लाभ मिलता है. सरगुजा और बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आदिवासी अपने खान-पान में कोदो, कुटकी और रागी जैसे फसलों का बड़ी मात्रा में उपयोग करते हैं. मोटे अनाजों में कुटकी में आयरन एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. और ये एनीमिया रोगी के लिए भी लाभदायक होता है. इस वजह से इसकी काफी डिमांड रहती है.