छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मु्ख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा है. बघेल ने इस चिट्ठी में राज्य के लिए 8 बिंदुओं पर राहत और मांगें की हैं. सीएम ने इस चिट्ठी में लिखा कि राज्य सरकारों के पास वित्तीय संसाधन सीमित हैं. कोविड के कारण बीते दो वर्षों में राज्य की आय में बड़ी कमी हुई है, जिससे राज्य को लोक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लिहाजा, राज्य के हित के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएं. इसके अलावा सीएम ने राजस्व घाटा अनुदान के मापदंडों को वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर सुधार करने की मांग भी की है. आपको विस्तार से बताते हैं कि सीएम ने इस चिट्ठी में क्या-क्या लिखा है.


1. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राजस्व घाटा अनुदान ऐसे राज्यों को दिया जा रहा है, जो वर्ष 2020-21 से 2025-26 के पूर्व के 5 या अधिक वर्षों से लगातार बड़े राजस्व घाटे में रहे हैं. अगर ये अनुदान राज्यों को खराब वित्तीय स्थिति से उबरने के उद्देश्य से दिया जा रहा है, तो इसे पूर्व के वर्षों के राजस्व घाटे को आधार मानकर देने की बजाए वर्ष 2020-25 की अवधि में होने वाले राजस्व घाटे की प्रतिपूर्ति के आधार पर दिया जाना चाहिए. ऐसा करने से पूर्व में वित्तीय अनुशासन का पालन करने वाले किन्तु वर्तमान में कोविड-19 के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था तथा जीएसटी कर प्रणाली की विसंगतियों के कारण राजस्व प्रातियों में कमी के कारण राजस्व घाटे की स्थिति निर्मित होने वाले राज्यों को भी इस अनुदान का लाभ प्राप्त हो सकेगा. हमारी मांग है कि राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने के मापदंडों पर वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में पुनर्विचार कर आवश्यक परिवर्तन किया जाए, ताकि वित्तीय अनुशासन का पालन करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य को भी इसका लाभ मिल सके.


2. वर्तमान व्यवस्था के अनुसार जिन राज्यों को जीएसटी कर प्रणाली लागू होने के बाद राजस्व का घाटा हुआ है. उन्हें जुलाई 2017 से जून 2022 तक केवल 5 वर्ष के लिये ही क्षतिपूर्ति अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है. आगामी वर्ष में राज्य को लगभग 5,000 करोड़ के राजस्व की हानि की भरपाई की कोई व्यवस्था अभी तक केंद्र द्वारा नहीं की गई है. जबकि हमारे द्वारा 15 वें वित्त आयोग एवं केंद्र सरकार का ध्यान पूर्व में भी इस ओर आकृष्ट किया जा चुका है. छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्य के लिये यह एक बड़ा आर्थिक नुकसान है, जबकि उत्पादक राज्य होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था के विकास में राज्य का योगदान उन राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, जो वस्तुओं व सेवाओं के अधिक उपभोग के कारण जीएसटी कर प्रणाली में लाभान्वित हुए हैं.


3. सुप्रीम कोर्ट के 2014 में पारित आदेश द्वारा देशभर में 215 कोयला खदानों के आवंटन को निरस्त किया गया था. इसी आदेश में जिन कंपनियों को यह कोल ब्लॉक्स आवंटित थे, उन पर 295 रुपये प्रति टन की दर से पेनल्टी लगाई गई थी. जो कंपनियों द्वारा केंद्र सरकार के पास जमा की गई थी. यह राशि राज्यों को आवंटित की जानी चाहिए, इससे छत्तीसगढ़ को भी 4,140 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे. हमारी मांग है कि यह राशि राज्य को शीघ्र दी जाए.


4. केंद्र सरकार की सहमति आवश्यक है अनुरोध है कि धान से इथेनॉल बनाने की अनुमति तत्काल दी जाये तथा धान खराब होने से हो रही 'राष्ट्रीय क्षति तथा राज्य को हो रही बड़ी आर्थिक क्षति से बचा जा सके।


5. हमारी मांग है कि छत्तीसगढ़ को भी कम से कम 24 लाख मीट्रिक टन उसना चावल FCI द्वारा लेने का लक्ष्य दिया जाए.


6. केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा वर्तमान में 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्यों को केन्द्रीय करों के संग्रहण में से 42 प्रतिशत हिस्सा दिया रहा है. उपरोक्त 42 प्रतिशत की राशि में से छत्तीसगढ़ राज्य का हिस्सा 3.408 प्रतिशत बनता है. विगत 3 वर्षों में केंद्रीय बजट में प्रावधानित केंद्रीय करों की तुलना में राज्य को प्राप्त राशि निम्नानुसार है. इस प्रकार छत्तीसगढ़ को केंद्रीय बजट में अंतरण हेतु प्रावधानित राशि के विरूद्ध 13,089 करोड़ रूपये कम प्राप्त हुए है, जिससे राज्य के संसाधनों पर अत्यधिक दवाब की स्थिति निर्मित हुई है. राज्य के हिस्से के 42 प्रतिशत राजस्व की तुलना में मात्र 34 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है.


7. डीजल एवं पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के स्थान पर केंद्र द्वारा सेस की राशि खत्म या कम करने की मांग


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