Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पिछले साल से आरक्षण पर बवाल जारी है. हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने नोटिस जारी कर राज्यपाल सचिवालय से सोमवार को आरक्षण के संबंध में जानकारी मांगी. इसके बाद बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में फिर बहस शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह (Raman Singh) के बीच इस मुद्दे पर टकराव जारी है. पूर्व सीएम रमन सिंह के बयान पर सीएम भूपेश बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल सोमवार को आरक्षण मामले में हाईकोर्ट की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन ने रायपुर (Raipur) एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा "हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर ही तो आरक्षण रुका है. 56 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, तो फिर 82 फीसदी कैसे वैलिड होगा. सवाल इसी में था, 56 फीसदी आरक्षण निरस्त करने वाला हाईकोर्ट ही है."
भूपेश बघेल ने रमन सिंह पर कसा तंज
इस बयान को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया में शेयर करते हुए रमन सिंह पर तंज कसा और कई सवाल उठाए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है " 56..56…56….56…क्या है 56?“जगत प्रवक्ता” डॉ रमन सिंह यहां बात पीएम मोदी के स्वघोषित सीने के नाप की नहीं बल्कि आरक्षण की हो रही है. पूर्व में आरक्षण 58 फीसदी था, ना कि 56 फीसदी. अभी 76 फीसदी आरक्षण प्रस्तावित है ना कि 82 फीसदी. इसके आग सीएम भूपेश बघेल ने लिखा जब विधानसभा द्वारा नए आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से (बीजेपी सहित) पारित किया गया तब क्या विधानसभा में 76 फीसदी आरक्षण विधेयक को मंजूरी देते समय रमन सिंह को यह जानकारी नहीं थी कि पूर्व में 56 प्रतिशत आरक्षण प्रावधान निरस्त किया गया था, तो 76 फीसदी आरक्षण कैसे संभव होगा? अगर यह संभव नहीं था तो विधानसभा में उनके द्वारा उस आधार पर विधेयक के विरोध में मत क्यों नहीं दिया गया?"
बीजेपी कार्यालय ही राजभवन संचालन केंद्र बन गया- सीएम बघेल
इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल उठाते हुए एक और ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने लिखा "राज्यपाल उच्च न्यायालय की नोटिस का जवाब देंगी या नहीं. राज्यपाल क्या जवाब देंगी. यह डॉ रमन सिंह कैसे जानने लगे? क्या कर्नाटक के आरक्षण विधेयक में भी डॉ रमन सिंह का यही ख्याल है ? क्या जनता सही कह रही है कि बीजेपी कार्यालय ही अब राजभवन संचालन केन्द्र बन गया है?"
पिछले साल से जारी है आरक्षण पर बवाल
गौरतलब है कि पिछले साल 19 सितंबर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे. तब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दो दिसंबर को राज्य में एसटी, ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण 76 फीसदी हो गया. लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है. वहीं ये मामला भी हाईकोर्ट में चला.
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