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Chhattisgarh Politics: CM भूपेश बघेल बोले- 'गैर बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपालों की समीक्षा होनी चाहिए,' बीजेपी ने किया पलटवार

Chhattisgarh: कांग्रेस पार्टी की तरफ से राज्यपाल की भूमिका पर उठाए जा रहे सवाल पर बीजेपी ने कड़ी अपत्ति जताई है. पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पर पलटवार किया है.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में राज्यपाल के अधिकारों पर सियासत शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) गैर बीजेपी (BJP) शासित राज्यों के राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठाया है. उन्होंने राज्यपालों की भूमिका पर समीक्षा करने की बात कह दी है. वहीं बीजेपी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान पर कड़ी अपत्ति जताई है. बीजेपी के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agrawal) ने मुख्यमंत्री पर संविधान का अपमान करने का आरोप लगाया है.

दरअसल,  छत्तीसगढ़ में पिछले 6 महीने से सरकारी भर्तियां अटकी पड़ी हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण को रद्द कर दिया. इसलिए छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने आरक्षण बढ़ाने के लिए विधानसभा में एक आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया. ये पिछले 4 महीने से राजभवन में अटका है. राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी है. इसे लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है.

सीएम बोले- राजभवन के भूमिका की होनी चाहिए समीक्षा

वहीं शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए राजभवन में लंबे समय से अटके आरक्षण विधेयक को लेकर राज्यपाल पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा "जितने भी गैर बीजेपी शासित राज्य हैं, वहां राजभवन की भूमिका की समीक्षा होनी चाहिए. आखिरी किसी बिल को कितने दिन तक रोका जा सकता है. इसको राष्ट्रपति के पास भेजा जाना है, तो अलग बात है. लेकिन आरक्षण तो निश्चित रूप से राज्य का विषय है. उसमें राज्यपाल 4-5 महीने तक रोक के बैठे हैं. यहां के छात्र छात्रांओं को एडमिशन लेना है और नौकरी में भर्ती होना है. ऐसे में आरक्षण विधेयक को रोका जाता है, तो निश्चित रूप से समीक्षा होनी चाहिए. इसके आगे उन्होंने कहा आखिर किसी बिल को कितनों दिन तक रोका जा सकता है. लौटा दें या हस्ताक्षर करें. ये रोकने का काम क्या है? क्या राज्यपाल को इतना अधिकार है की राज्य के युवाओं के जीवन और भविष्य को खतरें में डाल दें. ये अधिकार तो नहीं मिलना चाहिए किसी को."

बीजेपी ने जताई कड़ी अपत्ति

कांग्रेस पार्टी की तरफ से राज्यपाल की भूमिका पर उठाए जा रहे सवाल पर बीजेपी ने कड़ी अपत्ति जताई है. पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि जिस संविधान के तहत आप मुख्यमंत्री बने हैं. आप उसी पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या संविधान और राज्यपाल के अधिकार आपकी सुविधानुसार होंगे? राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा की बात कहकर आप संविधान का अपमान कर रहे हैं. आप तो अपने आपको राष्ट्रपति, संसद और संविधान से ऊपर मानने लगे हैं. इसके आगे बृजमोहन ने मुख्यमंत्री से कहा कि आपके अधिकारों की समीक्षा कौन करेगा? आप राज्यपाल के खिलाफ बोल देते हैं, संविधान के खिलाफ बोल देते हैं. कभी जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा  गांधी और नरसिम्हा राव ने भी इस प्रकार की बात नहीं की.

आरक्षण विवाद के चलते सरकारी भर्तियां रुकी

गौरतलब है कि 19 सितंबर 2022 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 फीसदी आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे. तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण 76 फीसदी हो गया. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी.अब नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने भी आरक्षण से खुद को किनारे कर लिया है.

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