केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अहम बैठक हुई. वर्चुअली तौर पर हुई बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए. सीएम बघेल ने बैठक के दौरान कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने वित्त मंत्री को बताया कि पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी कम करने से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है. साथ ही उन्होंने राज्य में धान से बॉयो इथेनॉल निर्माण की अनुमति भी मांगी है.
500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान
सीएम बघेल ने वित्त मंत्री को बताया कि पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी कम किए जाने के बाद राज्य सरकार को भारी नुकसान हो रहा है. बघेल ने वित्त मंत्री को पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी घटाने पर हो रहे नुकसान की जानकारी दी. बघेल ने कहा कि एक्साइज ड्यूटी में कमी करने से राज्य को प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है.
धान से बायो इथेनॉल निर्माण की अनुमति मांगी
सीएम ने कहा कि बीते दो-तीन सालों से राज्य सरकार की ओर से धान से बायो इथेनॉल निर्माण की अनुमति देने का आग्रह किया जा रहा है. उन्होंने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि यदि केंद्र सरकार अनुमति दे दे तो राज्य सरकार सरप्लस धान का उपयोग इथेनॉल बनाने में कर सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य और किसानों को लाभ होने के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर भारत सरकार द्वारा खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में धान से इथेनॉल बनाने की तैयारी कर ली गई है. धान से इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 12 कंपनियों से एमओयू भी किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में गन्ना और मक्का से इथेनॉल बनाने की अनुमति मिली है.
"उसना चावल लेने के लिए पुनर्विचार करे केंद्र"
बघेल ने इस बैठक में ये भी बताया कि छत्तीसगढ़ की 500 उसना राइस मिल पर संकट पैदा हो गया है. केंद्र सरकार ने उसना चावल खरीदने से इंकार कर दिया है. एसे में मिलों में काम करने वाले करीब 10 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. सीएम ने कहा कि खाद्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ राज्य से 61.65 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी गई है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने छत्तीसगढ़ से उसना चावल न लेने का निर्णय लिया है. ये फैसला राज्य और यहां के श्रमिकों के हित में नहीं है.
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 15वें वित्त आयोग के राजस्व घाटे को अनुदान के रूप में परिवर्तित करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 17 राज्यों को एक लाख 18 हजार 552 करोड़ रुपये का अनुदान पिछले वर्षों में राजस्व घाटे की पूर्ति के लिए दिया जा रहा है. यह अनुदान कोविड-19 के पश्चात राज्यों की प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहायता देने के लिए वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक राजस्व घाटे को आधार मानकर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई इससे नहीं होगी. बेहतर होता कि कोविड-19 के कारण से जो राज्य प्रभावित हुए हैं, उनको अनुदान दिया जाता तो इससे कोविड-19 महामारी से हुई क्षति की भरपाई होती. उन्होंने कहा कि जो राज्य वित्तीय व्यवस्था ठीक से नहीं रख पाए, उनको अनुदान मिलेगा और जिन राज्यों ने वित्तीय व्यवस्था बनाकर रखी है, उनको कुछ नहीं मिलेगा, यह स्थिति उचित नहीं है. इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.
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