Bastar News: अपने दो दिवसीय प्रवास पर बस्तर (Bastar) पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार को लेकर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "नक्सली लोकतंत्र को नहीं मानते हैं, इसलिए वो चुनाव का बहिष्कार करते हैं और खून खराबा करते हैं. अगर वो संविधान पर विश्वास रखते हैं, तो हम बातचीत करने को पूरी तरह से तैयार हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले भी कई बार नक्सलियों तक संदेश पहुंचाया गया है कि अगर वो भारत के संविधान को मानते हैं तो सरकार बातचीत के लिए बिल्कुल तैयार है."
सीएम ने कहा कि, लेकिन अब तक उनके तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सालों की तुलना में बस्तर में नक्सली घटनाओं में कमी आई है. छत्तीसगढ़ पुलिस , पैरामिलेट्री फोर्स और स्थानीय प्रशासन के बेहतर प्रयास से नक्सली बैकफुट पर हैं. दरअसल, नक्सलियों ने कुछ दिन पहले एक पर्चा जारी कर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात लिखी. इसके बाद अंदरूनी क्षेत्रों में काम करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों में भी डर का माहौल बना हुआ है.
सात महीनें में 5 बीजेपी नेताओं को नक्सलियों ने उतारा मौत के घाट
वहीं बीते 7 महीने में बीजेपी के पांच पदाधिकारियों की नक्सलियों द्वारा हत्या करने के बाद अब अंदरूनी क्षेत्रो में चुनाव प्रचार-प्रसार करने को लेकर खासकर बीजेपी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में डर का माहौल बना हुआ है. वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक और नेताओं की सुरक्षा में कटौती किए जाने को लेकर पार्टी के नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप है और उन्हें दोबारा सुरक्षा देने की मांग की है, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
केदार कश्यप ने क्या कहा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जरूर नक्सलियों के द्वारा संविधान में विश्वास रखने से बातचीत करने को तैयार होने की बात कह रहे हैं, लेकिन नक्सलियों के तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. वहीं नक्सलियों के द्वारा चुनाव बहिष्कार को लेकर जरूर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेताओं में दहशत का माहौल है. इस मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और बीजेपी प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप का कहना है कि बस्तर में बढ़ते नक्सलवाद को लेकर कांग्रेस की सरकार इसको लेकर बिल्कुल भी गंभीर दिखाई नहीं दे रही है.
उन्होंने कहा कि बीते 7 महीने में पांच बीजेपी नेताओं की नक्सलियों द्वारा हत्या इस बात का सबूत है कि बस्तर में नक्सली वारदातें पिछले सालों की तुलना में तेजी से बढ़ी हैं. वहीं बस्तर के बीजेपी के पूर्व विधायकों और दिग्गज नेताओं की सुरक्षा में भी कटौती किए जाने से यह साफ हो रहा है कि बस्तर में हमारे नेताओं की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस की सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. वो बस्तर में बढ़ते नक्सलवाद को रोक पाने में कांग्रेस सरकार पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है.