Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बजरंग दल और बजरंग बली के नाम सियासत जारी है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग जारी है. शनिवार (6 मई) को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी पर फिर निशाना साधा है. उन्होंने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के 15 साल की सरकार को याद दिलाते हुए बीजेपी को करप्ट पार्टी बताया है. इसपर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर भगवान और उनके भक्त को अलग करने का आरोप लग दिया है.
बजरंग बली बोलने पर किसी को कोई तकलीफ नहीं
दरअसल शनिवार (6 मई) को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बजरंग बली बोलने पर किसी को कोई तकलीफ नहीं है. 15 साल तक इनकी (BJP) सरकार रही. कभी इन्होंने रामायण कराया? कभी कौशल्या माता का मंदिर बनवाए? शिवरीनारायण में राम की मूर्ति किसने स्थापित की है? हम पूरे राज्य न केवल रामायण करा रहे बल्कि जो रामायण समिति है. उनको भी 5 हजार रुपए सम्मान निधि दे रहे है. ये दोनों को एक न करें.
मुख्यमंत्री ने कहा बीजेपी करप्ट लोगों की पार्टी बन गई है.
सीएम ने आगे कहा कि बजरंग बली अलग है वो हम सबके आराध्य है. मोदी जी 40 प्रतिशत कमीशन के बारे में क्यों नहीं बोलते है? अडानी के बारे में क्यों नहीं बोले. मणिपुर में आग लगी है. 8 जिलों में देखते ही गोली मारने के आदेश है. डबल इंजन की सरकार है. वहां उसके बारे में क्यों नहीं बोलते है. बीजेपी करप्ट लोगों की पार्टी बन गई है.
इसके जवाब में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता दीपक म्हस्के ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को बजरंग बली की जय बोलने से कोई परेशानी नहीं है. समझ में नहीं आता उन्हे परेशानी नहीं है तो बजरंग बली की जय बोलने और बुलवाने वालो से क्या परेशानी है? उनका ये भी कहना है कि बजरंग बली और बजरंग दल अलग अलग है. तो बताइए उनको ये अधिकार किसने दिया की भगवान से भक्त को अलग कर दें.
सनातन समाज का लगातार उत्पीड़न चल रहा है
इसके आगे बीजेपी प्रवक्ता दीपक म्हस्के ने कहा कि जब से कांग्रेस सत्ता में आई है ये तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है. सनातन समाज का लगातार उत्पीड़न चल रहा है. जनता ये बर्दास्त नहीं करगी. अगर उत्पीड़न चलता रहा तो कांग्रेस सरकार के ताबूत की अंतिम कील साबित होगी. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजरंग दल को गुंडागर्दी संगठन बताया है.
इसके अलावा कर्नाटक की तरह छत्तीसगढ़ में बैन पर सोचने की बात कहीं है. इसके बाद से बजरंग दल और बजरंग बली पर छत्तीसगढ़ में सियासत शुरू हो गई है.
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