Jhiram Naxalite Attack: देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुआ था. इसमें नक्सलियों ने कांग्रेस के 30 नेताओं सहित उनके सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी. आज भी जब लोग उस सड़क से गुजरते हैं तो उस घटना को याद कर सिहर जाते हैं. कांग्रेस पार्टी ने अपनी एक पीढ़ी को ही इस हमले में खो दिया था. इस हमले को आने वाले 25 मई को 10 साल पूरे होने वाले हैं. हमले की बरसी को लेकर सियासत तो फिर से शुरू हो गई है लेकिन इस हमले के 10 साल बाद भी पीड़ितों को आज तक न्याय नहीं मिला है. 


झीरम जांच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उठाए सवाल
दरअसल मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर एयरपोर्ट पर झीरम हमले की जांच को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एनआईए न तो मामले की जांच कर रही है और न ही हमें जांच करने दे रही है. इसके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी पर भी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बीजेपी इतना क्यों डर रही है.


'कुछ न कुछ छुपाने की कोशिश कर रही बीजेपी'
मुख्यमंत्री ने मीडिया से झीरम जांच मामले को लेकर कहा कि एनआईए ने इस हमले में जिंदा बचे लोगों से पूछताछ तक नहीं की. एनआईए से हम लोगों ने कहा था कि जो जांच की है उसको हम लोगों को दे दें लेकिन वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चले गए. ये जांच नहीं कर रहे और ना ही जांच करने दे रहे हैं. सीएम ने कहा कि बीजेपी इस जांच को लेकर इतना डर क्यों रही है यदि जांच में कुछ नहीं पाया गया है तो कॉपी हमें दे दें. उन्होंने कहा कि फाइल को राजभवन में जमा किया गया. इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है, बीजेपी कुछ ना कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है.


'नक्सलियों ने नाम पूछ-पूछकर लोगों को मारा'
 मुख्यमंत्री ने एनआईए की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि रोड ओपनिंग पार्टी क्यों हटाया गई थी? लोगों को नाम पूछ पूछकर नक्सलियों ने मारा, इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि तेलंगाना में पकड़े गए नक्सलियों से एनआईए ने पूछताछ नहीं की, जज का ट्रांसफर करा दिया गया. उसके घर में बम फेंक गया. स्पष्ट है बीजेपी कुछ दबाना चाहती है, छुपाना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस हमले को लेकर बीजेपी वाले ऊटपटांग बयान दे रहे हैं, इतने  लोगों की जान चली गई लेकिन इन्हें शर्म नहीं आती, इन लोगों को राजनीति सूझ रही है. हमारे लिए यह भावनात्मक मामला है.


बीजेपी झीरम जांच पर बीजेपी ने कांग्रेस से मांगे सबूत
झीरम जांच पर एक दिन पहले बीजेपी के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस सरकार से साबूत की मांग की थी. राजेश मूणत ने कहा था कि मुख्यमंत्री बघेल के पास जो सबूत हैं, उसे वे सार्वजनिक क्यों नहीं करते? आखिर वे सबूत कब तक सामने रखे जाएंगे? क्या कांग्रेस की प्रदेश सरकार झीरम मामले के दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है? उन्होंने कहा था कि झीरम घाटी में शहीद लोग छत्तीसगढ़ महतारी के बेटे थे. वे किसी राजनीतिक दल से ऊपर उठकर पूरे प्रदेश के नेता थे.


25 मई कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हुआ था नक्सली हमला
गौरतलब है कि 25 मई 2013 को सुकमा जिले में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में नक्सलियों ने हमला कर दिया था. झीरम घाटी में सैकड़ों की संख्या में नक्सली कांग्रेस के काफिले पर घात लगाकर बैठे थे. जब काफिला झीरम पहुंचा तब उन्होंने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, बस्तर टाइगर के नाम से फेमस महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के अलावा अन्य कांग्रेसी नेता और उनके सुरक्षाकर्मी सहित 30 लोगों की मौत हुई थी.


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