अम्बिकापुर: ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर देखा जाता है कि बच्चे 8वीं-10वीं तक कक्षा पूरी करने के बाद पढ़ाई बीच में छोड़ देते है और काम धंधे में उतर जाते है. वहीं कुछ लोगों को पढ़ने की इच्छा होती है, लेकिन वे आर्थिक स्थिति या अन्य कारणों से पढ़ाई से नाता तोड लेते है. ऐसे में उन्हें भविष्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस सब बातों को लेकर सरगुजा कलेक्टर काफी गंभीर है. कलेक्टर कुंदन कुमार शिक्षा पर काफी जोर दे रहे है, और उनके मार्गदर्शन में सरगुजा जिले में राजीव गांधी शिक्षा मिशन समग्र शिक्षा अभियान सरगुजा 6 से 14 वर्ष के अभी बच्चों को शाला प्रवेश कराते हुए गुणवतापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए लगातार प्रयासरत है.


अब तक 80 छात्र छात्राओं की स्कूल वापसी
कलेक्टर कुंदन कुमार के निर्देश पर जिले के शाला त्यागी बच्चों का सर्वे कर उन्हे विद्यालयों में प्रवेश कराया जा रहा है, और अतिरिक्त समय देकर उनके पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई की जा रही है. बता दें कि, अब तक पढ़ाई छोड़ चुके 80 छात्र छात्राओं को पुनः स्कूल में एडमिशन कराया गया है. शिक्षकों द्वारा बच्चे तथा उनके अभिभावकों को शिक्षा को महत्ता की समझाइश दी गई. बच्चों में आगे पढ़ने की इच्छा जागृत हुई. वहीं स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा उनके शाला छोड़ने के कारण पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित कर की जा रही है.


कोरोना ने प्रभावित किया काम, दो बेटियों ने छोड़ी पढ़ाई
बता दें कि, अम्बिकापुर जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रामपुर में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में दो छात्राएं संध्या कुमारी और सोनी कुमारी को प्रवेश दिया गया था. उनके पिता छड़ की फैक्ट्री में काम करके अपना व परिवार का गुजर बसर कर रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के प्रभाव ने उनके जीवन को प्रभावित किया. फैक्ट्री बंद हो गया, जिसकी वजह से उनके पिता रामनारायण सिंह को अक्टूबर में अंत में अपने परिवार को लेकर अपने गृह ग्राम जाना पड़ा. इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ा और उन्हे स्कूल छोड़ना पड़ा. तब उनके स्कूल के प्रधान पाठक रविंद्र कुमार सिंह राणा व कक्षा शिक्षक गीता सराठे उनसे लगातार संपर्क करने का प्रयास करते रहे. वे रामपुर में जिनके घर में किराए से रहते थे, उनके माध्यम से उनसे सम्पर्क हो पाया.


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समझाइश के बाद फिर से लिया दाखिला
बच्ची के माता पिता को बच्चियों की शिक्षा के विषय में कक्षा शिक्षिका द्वारा समझाया गया कि, बालिकाओं की कितनी जरूरी है. समझाइश के बाद पिता को कुछ समझ में आया और उन्होंने आश्वासन दिया कि, फरवरी तक वे वापस आ जाएंगे. अंतः फरवरी 2022 का समय आ गया. उनके आने की सूचना मिलते ही पुनः शिक्षकों के द्वारा इनसे संपर्क किया गया और माता पिता द्वारा अपने कहे अनुसार अपनी दोनों बेटियों शाला वापसी कराते हुए स्कूल भेजा गया. अब दोनों छात्राएं स्कूल आने लगी है. स्कूल की सभी शिक्षिकाओं द्वारा उनके अनुपस्थिति के दिनो की पढ़ाई को पूरा कराने का प्रयास किया गया और अप्रैल माह की मुख्य परीक्षा में उन्हे शामिल कराया गया. वर्तमान में दोनों छात्राएं संध्या कुमारी और सोनी कुमारी स्कूल नियमित रूप से कक्षा 8वीं में अध्ययनरत है.


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