कांग्रेस ने ठुकराया रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण, सीएम साय बोले- 'अब जनता भी इन्हें ठुकराएगी'
Ram Mandir Inauguration: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कांग्रेस पर दोगलेपन के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि कभी कांग्रेस श्रीराम पर सवाल उठाती है तो कभी सनातनी बन जाती है.
Vishnu Deo Sai on Congress Declines Ram Mandir Inauguration: रामलला के प्राण प्रतिष्ठान का आमंत्रण अस्वीकार करने को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमले हो रहे हैं. बीजेपी के नेता लगातार सोनिया गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या जाने का निमंत्रण ठुकराने पर अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस दोहरा मापदंड अपनाती है. कभी श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाती है तो कभी चुनाव के समय में खुद को सनातनी बताती है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि इस बार कांग्रेल ने निमंत्रण ठुकराया है, अब जनता भी इन्हें ठुकराएगी.
#WATCH दिल्ली: कांग्रेस द्वारा राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, "ये(कांग्रेस) दोहरा मापदंड अपनाते हैं, कभी श्री राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं तो कभी चुनावी सनातनी बनते हैं. इस बार इन्होंने निमंत्रण… pic.twitter.com/uzGSfPVU6Q
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 11, 2024
इससे पहले कांग्रेस के इस फैसले को लेकर बुधवार (10 जनवरी) को बीजेपी नेता और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार करने वालों का जनता चुनाव में बहिष्कार करेगी. उन्होंने कहा, 'उनके (कांग्रेस के) रुख में कुछ भी नया नहीं है, उन्होंने हमेशा भगवान राम का विरोध किया है और सनातन (धर्म) को बदनाम करने की कोशिश की है. उन्होंने कई मौकों पर भगवान राम के अस्तित्व को भी नकार दिया है.
'केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, 'यदि उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है, तो भारत के लोग भी आगामी (लोकसभा) चुनावों में उनका बहिष्कार करेंगे.'भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, ''कांग्रेस आधिकारिक तौर पर कह रही है कि उसके वरिष्ठ नेता 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. क्योंकि पिछले कुछ दशकों में उसने वास्तव में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया ताकि अयोध्या में मंदिर बने.'
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