छत्तीसगढ़ में धान खरीदी तो शुरू हो गई है लेकिन, बारदाने की कमी की समस्या से किसान परेशान हैं. राज्य सरकार की नीति को लेकर कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारी भी दबी जुबान में ही सही विरोध करन लगे हैं. दरअसल, प्रदेश मे धान खरीदी में बारदाने की समस्या और किसानो द्वारा बारदाना लाने के फरमान को लेकर विरोध शुरू हो गया है. सत्ताधारी दल के लोग खुद ये नसीहत दे रहे हैं कि सरकार के लोगों को इसकी व्यवस्था करनी होगी.


ज्यादातर किसान 25 प्रतिशत बारदाने लाने को लेकर जारी फरमान को लेकर परेशान दिख रहे हैं. साथ ही धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक भी बारदाने की भरपूर मात्रा नहीं मिलने के कारण परेशान नजर आ रहे हैं. इसके अलावा इस बार धान खरीदी केंद्रों मे धान का बोरा उठाने और उठाकर छल्ली लगाने का काम भी किसानों को करना पड़ रहा है.


कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि धान खरीदी की बहुत अच्छी व्यवस्था है. समिति ने यहां काफी कुछ व्यवस्था कर रखी है. उन्होंने बताया कि धान खरीदी को हम लोग त्योहार की तरह मना रहे हैं. जिला अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ ऐसा प्रदेश है जहां सबसे अच्छी कीमत में किसानों का धान बिकता है. इसके बाद कांग्रेस जिला अध्यक्ष जो खुद जिला पंचायत के सदस्य और पूर्व उपाध्यक्ष भी रहे चुके हैं. उनका दर्द भी एक किसान की तरह बाहर आ गया. उन्होंने कहा कि पूरे सीजन बारदाना उपलब्ध कराना सरकार के लिए चुनौती रहेगा. उन्होंने कहा कि बारदाना की व्यवस्था सरकार को करनी होगी.


जिले के करजी उपार्जन केंद्र में जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया, "यहां बारदानों की कमी लग रही है. हम 25 प्रतिशत बारदाना दे रहे हैं. वैसे तो राज्य सरकार को देना चाहिए. बारदाना एक समस्या है." इसके साथ ही किसान रामप्रसाद कुशवाहा ने बताया कि जैसे किसान अपना बोरा लेकर आता है तो बोरा सीलकर, भरकर छोड़ देना चाहिए, लेकिन इस बार तौलान के बाद धान के बोरा को गोदाम तक पहुंचाने और छल्ली मे व्यवस्थित रूप से चढ़ाने का काम किसान को ही करना पड रहा है. 


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