एक बार फिर से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में टीके को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है. तीसरे डोज की बात करें तो छत्तीसगढ़ के सरगुजा में अभी तक 37 फीसदी लोगों को बुस्टर डोज नहीं लगा है. तृतीय डोज लगवाने न तो कोई अस्पतालों में पहुंच रहा है और न ही जानकारी ले रहा है, जिससे स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी प्रशासन से टीके की मांग नहीं की जा रही है.


जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. राजेश भजगावली ने बताया कि जिले में 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को 94 फीसदी प्रथम और 72 फीसदी को द्वितीय डोज लगा है. इसी प्रकार 15 से 17 वर्ष आयु वर्ग में 96 फीसदी प्रथम डोज व 87 फीसदी द्वितीय डोज लगा है. 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में लक्ष्य से अधिक 113 फीसदी के साथ 8 लाख 15 हजार 958 लोगों को प्रथम डोज लगाया गया है.


वहीं 98 फीसदी के साथ 7 लाख 99 हजार 147 को द्वितीय डोज लगा है. जबकि मात्र 3 लाख 94 हजार 590 के साथ 63 फीसदी लोगों को ही तीसरा डोज बुस्टर का लगाया गया है. उन्होंने बताया कि जिले में 30 दिसंबर से वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.


होम आइसोलेशन से हुए रिकवर


अम्बिकापुर शहर के दर्रीपारा निवासी एक महिला के अलावा लखनपुर में 6 मार्च को एक 70 वर्षीय वृद्ध की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. इसके पूर्व 29 नवंबर 2022 को उदयपुर निवासी 20 वर्षीया महिला संक्रमित हुई थी. 27 नवंबर 2022 को भी एक पॉजिटिव मिलने से चिकित्सकों के द्वारा गंभीर लक्षण नहीं होने पर होम आइसोलेशन की अनुमति दी गई थी. जिसमें वृद्ध व महिला समेत तीन संक्रमित घर से ही स्वस्थ्य हुए, जबकि आज 21 मार्च को होम आइसोलेशन से एक और महिला को डिस्चार्ज किया जाएगा.


मेडिकल कॉलेज में 200 ऑक्सीजन बेड 


मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि चिकित्सालय में 15 बेड का आइसोलेशन वार्ड है, जिसमें एक भी मरीज भर्ती नहीं है. यह वार्ड ऑक्सीजन सुविधा से लैस है. इसके अलावा 200 ऑक्सीजन बेड, 30 बेड का आईसीयू भी है. आइसोलेशन वार्ड को छोड़ शेष वाडों में सामान्य मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या ने बताया कि केस आने पर आइसोलेशन वार्ड में मरीज भर्ती किए जाएंगे. आवश्यकता पड़ने पर दो सौ बेड के ऑक्सीजन बेड के अलावा आईसीयू को तत्काल खाली करा लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसकी तैयारी पूर्व में ही की जा चुकी है. चिकित्सालय में चार ऑक्सीजन प्लांट हैं जो चालू हालत में हैं.


लक्षण जांचे बगैर सीधे पर्ची में लिखी जा रही दवाइयां 


मौसम के उतार-चढ़ाव के बीच सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण वाले मरीजों की तादात बढ़ रही है. अस्पतालों में ऐसे अधिकांश मरीजों को बगैर सैंपल जांच सीधे पर्ची में दवाइयां लिखी जा रही हैं. कई मरीज सीधे दुकानों से दवाइयां खरीद कर भी सेवन कर रहे हैं. कोरोना के तीसरे लहर के दौरान जिले के सभी शासकीय अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भी सेंपल लिए जा रहे थे. मौजूदा समय में केवल मेडिकल कॉलेज में ही सैंपल लिए जा रहे हैं और जांच हो रही है. बता दें कि शनिवार को बिलासपुर में एक महिला की मौत हो गई. महिला की कोरोना जांच तब हुई जब वह अंतिम सांस ले रही थी.


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