Sukma: पुलिस पर CPI नेता का आरोप- कैंप खोलने के नाम पर आदिवासी ग्रामीणों की हो रही पिटाई
Sukma News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्थित सुकमा जिले में पुलिस कैंप खोले जा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि बिना ग्राम सभा की अनुमति लिए कैंप खोले जा रहे हैं. उन्हें अस्पताल और स्कूल की जरूरत है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में खुल रहे नए पुलिस कैंप को लेकर बस्तर पुलिस विवादों में घिरती नजर आ रही है. पुलिस पर इन नए कैंपों को खोलने के दौरान स्थानीय ग्रामीणों से बुरी तरह से मारपीट का आरोप लग रहा है. सुकमा जिले के भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र कुदेढ़ गांव में कैंप खोलने के दौरान पुलिस पर स्थानीय ग्रामीणों से मारपीट करने का आरोप आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और CPI नेता मनीष कुंजाम ने लगाया है. मनीष कुंजाम का कहना है कि पुलिस के जवानों ने स्थानीय ग्रामीणों की लाठी और डंडों से भारी पिटाई की है.
बताया जा रहा है कि जवानों ने महिलाओं और युवाओं को भी नहीं बख्शा और उनको भी बुरी तरह से पीटा है. CPI नेता ने कहा कि इसकी जानकारी मिलने के बाद वह खुद कुदेड़ गांव जाना चाह रहे थे, लेकिन मंगलवार को पुलिस ने जानबूझकर उन्हें दोरनापाल में ही रोक दिया और आगे जाने की इजाजत नहीं दी. मनीष कुंजाम ने बस्तर पुलिस पर आरोप लगाया है कि कैंप खोलने के नाम पर पुलिस ग्रामीणों के साथ बर्बरता कर रही है और इसकी सच्चाई सामने ना आ सके इसके लिए उन्हें और उनके टीम को घटनास्थल जाने नहीं दे रही है.
ग्रामीणों पर मारपीट का लगाया आरोप
सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने पुलिस पर आरोप लगाया कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में पांचवी अनुसूची और पेशा कानून लागू है और इसके तहत आदिवासी इलाकों में स्थानीय ग्रामीणों को विशेष अधिकार प्राप्त है. बिना ग्राम सभा और ग्रामीणों की सहमति के पुलिस कैंप खोलना संविधान में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन है. कुदेड़ के ग्रामीण कानून में दिए गए अधिकारों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मनीष कुंजाम ने कहा कि ग्रामीण कहीं से भी गलत नहीं हैं. उन्हें जो संविधान के तहत अधिकार दिए गए हैं वे उसकी मांग कर रहे हैं. बावजूद इसके पुलिस के अधिकारियों और जवानों ने कैंप का विरोध करने पर स्थानीय ग्रामीणों को बुरी तरह से और दौड़ा-दौड़ा कर लाठी-डंडे से पीटा है. जिससे कई ग्रामीण घायल भी हो गए हैं और चाह कर भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है.
हालात है चिंताजनक
सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी जैसे ही मिली वे मंगलवार सुबह खुदेड़ गांव के लिए रवाना हुए थे, लेकिन दोरनापाल में ही पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें घटनास्थल जाने से रोक लिया. पुलिस नहीं चाहती कि वहां पर वे अपनी टीम के साथ जाएं क्योंकि ग्रामीणों से जिस तरह से पुलिस ने मारपीट की है उसकी सच्चाई सामने आ जाएगी. जानबूझकर उन्हें दोरनापाल थाना में मंगलवार दोपहर के 3 बजे तक बैठा कर रखा गया और उन्हें जाने नहीं दिया गया. मनीष कुंजाम ने बताया कि उन्हें ग्रामीणों से जानकारी मिली है कि पुलिस के साथ ग्रामीणों की झड़प हुई है और जवानों ने ग्रामीणों को बुरी तरह पीटा है. इसलिए वहां हालात बेहद ही चिंताजनक है.
संविधान के नियमों का हो रहा उल्लंघन
दरअसल, नक्सल प्रभावित बस्तर में कई अंदरूनी क्षेत्रों में ग्रामीण नए पुलिस कैंप का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कैंप खुलने से जवान सुरक्षा के नाम पर ग्रामीणों को परेशान करते हैं. फर्जी नक्सली प्रकरण बनाकर ग्रामीणों को जेल भेज दिया जाता है और इसका विरोध करने पर पुलिस के जवानों द्वारा ग्रामीणों की बुरी तरह से पिटाई की जाती है. ग्रामीणों ने कहा कि बिना ग्राम सभा की अनुमति लिए कैंप खोले जा रहे हैं. सरकार पहले गांव में स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराएं उन्हें पुलिस थाना और कैंप की जरूरत नहीं है.
पुलिस ने कहा सुरक्षागत कारणों से रोका गया
इधर इस मामले में दोरनापाल के पुलिस अधिकारी निशांत पाठक का कहना है कि सुरक्षा कारणों से पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को कुदेड़ गांव जाने से रोका गया है, क्योंकि मनीष कुंजाम जनप्रतिनिधि है और उन्हें जान का खतरा है. इसलिए उन्होंने राज्य सरकार से सुरक्षा की मांग भी की थी. जगरगुंडा जाने का रास्ता बेहद संवेदनशील है और बिना सुरक्षाकर्मी के जाना उनके लिए सुरक्षित नहीं था. इसलिए उन्हें जाने से रोका गया है.