Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, स्नान के बाद दीपदान का है खास महत्व
Happy Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर छतीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. राजिम के त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया. इसके बाद दीप दान किया गया.
Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के मौके पर छत्तीसगढ़ का माहौल भी भक्तिमय नजर आया. प्रदेश के सभी शिव मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगा रहा. खासकर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिवधाम में 3 दिन से महाशिवरात्रि की तैयारी चल रही थी और शिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचे. वही राजिम शिव धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिली. राजिम के त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं ने डुबकी लगायी और फिर भोलेनाथ की पूजा अर्चना की.
राजिम में धर्म के प्रति और भगवान शिव के प्रति आस्था का भाव शिवरात्रि के एक दिन पहले गुरूवार की रात से ही देखने को मिल रहा था. भोलेनाथ के प्रति अटूट भक्ति रखने वाले भक्त तड़के 2 बजे से ही राजिम संगम की धार में डुबकी लगाने पहुंच गए थे.
त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं ने किया पुण्य स्नान
राजिम शिव धाम के जानकारों का मानना है कि महाशिवरात्रि के मौके पर राजिम के त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए तड़के सुबह से लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु पुण्य स्नान कर दीपदान करते है. इसके बाद श्री कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर और श्री राजीव लोचन मंदिर, बाबा गरीब नाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है. महाशिवरात्रि के मौके पर लाखों की संख्या में लोगों ने इन मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के किए. भगवान के दर्शन के भक्त लंबी लाइनों में खड़े दिखाई दिए. सुबह 3 बजे से ही ये सिलसिला शुरू हो गया था.
स्नान के बाद दीपदान की भी है परंपरा
महाशिवरात्रि पर्व में स्नान के बाद दीपदान करने की परंपरा कई सौ साल पहले से ही चली आ रही है. इस परंपरा और श्रद्धा का पालन आज भी श्रद्धालुओं को करते देखा जा सकता है. नदी की धारा में दोने में रखे दीपक की लौ किसी जुगनू की भांति चमकती नजर आती है. कई महिलाओं ने रेत का शिवलिंग बना कर बहुत ही श्रद्धा के साथ बेल पत्ते, धतुरे के फूल चढ़ाकर आरती की. मान्यता के अनुसार यहां कई भक्तों ने नदी में अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया. श्रीकुलेश्वर मंदिर क्षेत्र में जगह-जगह पंडितों का हुजूम भी लगा हुआ था, जहां भगवान श्री सत्यनारायण और शिवजी की कथा भी श्रद्धालुजन करा रहे थे.
महाशिवरात्रि पर संगम स्नान का है खास महत्व
वैसे तो पर्व व त्यौहार में स्नान का अपना अलग महत्व होता है. लेकिन महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में स्नान करने का खास कारण बताया जाता है कि महाशिवरात्रि में किसी भी पहर अगर भोले बाबा की प्रार्थना की जाए तो माता पार्वती और भोलेनाथ भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. भगवान शंकर के शरीर पर शमशान की भस्म गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में पावन गंगा और माथे में प्रलयंकारी ज्वाला उनकी पहचान है. माना जाता है कि महानदी, सोंढूर, पैरी के संगम में स्नान करने से तन पवित्र तो होता है और मन की मलिनता भी दूर हो जाती है.