Chhattisgarh: नक्सलगढ़ में खुला CRPF कैंप, नक्सलियों से लोहा लेने के साथ गांव के मरीजों का भी इलाज कर रहे जवान
Bastar News :एक तरफ संभाग के कई इलाकों में CRPF का पुलिस कैंप खोलने पर ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और जवानों पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं. वहीं, यहां ग्रामीणों के लिए जवान देवदूत बने हुए हैं.
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Chhattigarh Police News: छत्तीसगढ़ (Chhattigarh) के बस्तर (Bastar) कई ग्रामीण इलाके हैं, जहां आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं पहुंच सका है. यहां के ग्रामीण बीमार पड़ने से झाड़-फूंक के ही भरोसे रहते हैं. लिहाजा, समय पर इलाज नहीं मिलने से कई ग्रामीणों की मौत भी हो जाती है.
इस बीच नक्सल मोर्चे पर तैनात सीआरपीएफ के जवान अब नक्सलियों से लोहा लेने के साथ ग्रामीणों के के लिए देवदूत साबित हो रहे है. सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मौजूद फूलबगड़ी गांव में स्थापित सीआरपीएफ कैंप ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य केंद्र बन गया है. इस कैंप के स्थापना के बाद से 200 से अधिक ग्रामीणों को यहां इलाज किया जा चुका है. इससे क्षेत्र के ग्रामीण कैंप के जवानों का आभार भी मान रहे हैं.
वहीं सिविक एक्शन कार्यक्रम के जरिए भी कैंप में तैनात सीआरपीएफ के अधिकारी और जवानों के की ओर से ग्रामीणों को जरूरी सामान भी वितरित किया जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों का भरोसा जीतने में भी सीआरपीएफ कैंप सफल हुआ है.
200 से अधिक ग्रामीणों को मिल चुका है इलाज
दरअसल, एक तरफ जहां संभाग के कई इलाकों में सीआरपीएफ के पुलिस कैंप खोलने को लेकर ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और पुलिस के जवानों पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं. वहीं, कुछ ही महीने पहले सुकमा जिले में नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले फूलबगड़ी गांव में सीआरपीएफ कैंप ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
हालांकि, शुरुआत में इस कैम्प के खुलने को लेकर भी ग्रामीणों ने जमकर बवाल मचाया था, लेकिन अब गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने की वजह से पुलिस कैंप की ओर से मिल रहे ग्रामीणों को इलाज की सुविधा से ग्रामीण अब यहां तैनात जवानों से काफी खुश हैं. ग्रामीणों का कहना है कि छोटे-मोटे बीमारी के साथ अगर गांव के किसी ग्रामीण को बेहतर इलाज की जरूरत है, तो सीआरपीएफ कैंप से उन्हें सुकमा मुख्यालय भी ले जाया जाता है, जिससे ग्रामीणों का उनके प्रति भरोसा भी बढ़ा है.
नक्सली घटना में भी आई काफी कमी
वहीं, इस कैंप के प्रभारी रविकांत बेहरा कमांडेंट सेकंड बटालियन ने बताया कि कोशिश की जाती है कि कैंप में ग्रामीणों को इलाज की सुविधा मिल सके. साथ ही समय-समय पर गांव में सिविक एक्शन कार्यक्रम भी चलाया जाता है, जिसमें आसपास के ग्रामीणों को इकट्ठा करने के बाद उन्हें उनके लिए जरूरी सामान वितरित करने के साथ ही स्कूली बच्चों को शिक्षा से संबंधित सभी जरूरी सामान भी दिए जाते हैं.
कमांडेंट ने बताया कि कैंप स्थापित होने के बाद गांव में पहले से नक्सली घटना में काफी कमी आई है और गांव वालों ने भी CRPF जवानों पर भरोसा करना शुरू कर दिया है. इस गांव के विकास के लिए सड़क निर्माण कार्य में 8 घंटे तक जवान सड़क की सुरक्षा में तैनात होने के साथ गांव में अन्य विकास कार्य पहुंच सके इसके लिए लगातार प्रयास करते हैं.
इसके अलावा गांव के पढ़े-लिखे युवाओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी भी सीआरपीएफ कैंप में पदस्थ जवानों की ओर से करवाया जा रहा है, जिससे अब युवा भी गलत रास्ते पर न जाकर अपनी शिक्षा पर पूरा ध्यान दे रहे हैं. उनका कहना है कि आने वाले समय में निश्चित तौर पर फुलबगड़ी और आसपास के गांव पूरी तरह से नक्सल मुक्त होगा और इस गांव के ग्रामीण भी शहर वासियों की तरह एक आम जिंदगी जी पाएंगे.
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