छत्तीसगढ़ के इन जिलों में ग्रामीणों ने किया विधानसभा चुनाव के बहिष्कार एलान, बोले- सालों से कर रहे इंतजार अब और नहीं...
Dantewada News: ग्रामीणों का आरोप है कि नेताओं और मंत्रियों से कई बार गुहार लगाने के बावजूद उनकी मांग अधूरी रह गईं है. इस पर ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है.
Assembly Elections 2023 In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए 11 महीने ही शेष रह गए हैं और एक तरफ जहां सभी राजनीतिक दल अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ लंबे समय से अपने गांव में विकास की राह देख रहे ग्रामीण भी चुनाव के नजदीक आते ही नेताओं को अपने किए गए वायदे को याद दिलाने के लिए सड़क पर उतर रहे हैं. बस्तर संभाग के ऐसे कई अंदरूनी क्षेत्र के गांव हैं जहां चुनाव के पहले सड़क निर्माण कार्य के बड़े-बड़े दावे तो किए गए लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी एक गिट्टी तक सड़क में नहीं गिराया गया है, जिसके चलते अब ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का एलान कर दिया है.
दंतेवाड़ा जिले के मोलसनार गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़क नहीं बनने से चुनाव बहिष्कार करने का एलान कर दिया है, दरअसल यह सड़क पिछले 5 सालों से बन रही है और आज तक पूरी नहीं हो सकी है.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत लगभग 10 किलोमीटर का सड़क बनाया जाना था लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी सड़क का काम अधूरा पड़ा हुआ है, जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और अब पूरे आस-पास के पूरे गांव वासियों ने सड़क नहीं बनने से चुनाव बहिष्कार करने का एलान कर दिया है.
पांच सालों से नहीं हुआ सड़क निर्माण का कार्य
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले के बेहनार - मोलसनार से उदेला तक 10 किलोमीटर का डामरीकरण सड़क बनाया जाना है. इस काम को 5 साल पहले 2018 में शुरू किया गया था. लगभग 7 करोड़ की लागत से इस सड़क का निर्माण किया जाना था वहीं इसी गांव में कोवापारा से बेहनार तक साड़े 3 किलोमीटर की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क बनाई जानी थी, लेकिन आज 14 साल बीत जाने के बाद भी यह सड़क नहीं बन पाई है. ग्रामीणों का कहना है कि हर बरसात से पहले केवल गिट्टी और मिट्टी लाकर यहां रख दिया जाता है, लेकिन सड़क का काम कभी शुरू नहीं हुआ.
नेताओं, मंत्रियों स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से कई बार गुहार लगाने के बावजूद सड़क पूरी करने की उनकी मांग अधूरी ही रह गई है और इस पर कोई ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है, ऐसे में ग्रामीणों ने एक स्वर में कह दिया है कि "सड़क नहीं तो वोट नहीं" यह हाल दंतेवाड़ा जिले का ही नहीं बल्कि सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर कोंडागांव और बस्तर जिले के कई गांवों का है, जहां सड़क निर्माण करने की घोषणा तो की जा चुकी है लेकिन अब तक सड़क का काम शुरू तक नहीं हो सका है.
जिसके चलते इस इलाके के भी ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सड़क नहीं तो वोट नहीं का मन बना लिया है और चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
इधर बस्तर के कमिश्नर श्याम धावड़े का कहना है कि बस्तर संभाग के जिन ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क अधूरे पड़े हैं, उन सभी के फाइल मंगाई गई है और इसकी जांच भी की जा रही है, अगर ठेकेदारों द्वारा इस पर लापरवाही बरती गयी है तो जरूर उन पर ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई की जाएगी. बस्तर कमिश्नर का कहना है कि प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है कि जिन ग्रामीण अंचलों में सड़क का काम सेक्शन हुआ हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा कराया जाए.
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