Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले के घोर नक्सल प्रभावित लोहा गांव में लाल पानी के तेज बहाव से नदी में बहे एक ग्रामीण युवक का शव घटना के 29 दिन बाद भी बरामद नहीं हो सका है. आज भी इस युवक के परिजन और उसका मासूम बेटा पिता के आने का इंतजार कर रहा है. हालांकि घटना की जानकारी लेट से मिलने के बावजूद भी प्रशासन की टीम 6 पहाड़ियों को पार कर इस लाल पानी के नदी में जरूर पहुंची लेकिन अब तक शव को बरामद करने में सफलता हासिल नहीं हो पाई है. 


दो भाई बह गए थे पानी में
दरअसल यह लाल पानी बैलाडीला में स्थित एनएमडीसी स्टील प्लांट से निकलती है और कुछ दिन पहले बस्तर में हुए झमाझम बारिश की वजह से नदी का बहाव तेज हो गया और इस नदी में पुलिया नहीं बनने की वजह से इसे पार करते लोहा गांव के दो भाई हादसे का शिकार हो गए और तेज बहाव लाल पानी में बह गए. एक युवक के शव को तो ग्रामीणों ने घटना के दूसरे दिन खोजकर निकाल लिया लेकिन वहीं एक अन्य युवक का शव अब तक नहीं मिल पाया है. उसकी खोजबीन करने में प्रशासन के भी पसीने छूट गए हैं.


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29 दिन बाद भी कोई सुराग नही
लोहा गांव में रहने वाले मृतक बुधराम के परिजनों ने बताया कि बीते 11 सितंबर को बुधराम और उसके छोटे भाई सुखराम दोनों दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में लगने वाले साप्ताहिक बाजार गए हुए थे और उनके साथ गांव का एक और साथी हूंगाराम भी गया हुआ था. वापसी के दौरान तेज बारिश में फंसे और लाल पानी के नदी को पार करते सुखराम और बुधराम दोनों भाई बह गए. हालांकि हूंगाराम ने दोनों को पानी में बहते देख खुद नदी में उतरने की हिम्मत नहीं जुटाई. हूंगाराम रातभर वहीं बैठा रहा और सुबह जैसे ही नदी का पानी कम हुआ तो उसने नदी को पार करके आसपास के लोगों को दोनों भाइयों के डूबने की जानकारी दी.


परिवार को घर लौटने का इंतजार
इसके बाद ग्रामीणों ने दोनों के शव की तलाश की. हालांकि इस दौरान सुखराम का शव ग्रामीणों ने बरामद कर लिया लेकिन अब तक बुधराम का शव बरामद नहीं किया जा सका है. घटना की जानकारी मिलने के 4 दिन बाद प्रशासन की टीम पहली बार इस इलाके में सुखराम के यहां खुद पहुंची और मुआवजा राशि से संबंधित सारी प्रक्रिया पूरी की और उसके बाद प्रशासन की एक टीम को बुधराम को शव को खोजने के लिए भेजा, लेकिन खोजबीन के बावजूद अब तक बुधराम का कुछ पता नहीं चल सका है. इधर बुधराम के घर वालों को घटना के 29 दिन बाद भी उसके घर लौटने का इंतजार है और उसका मासूम बेटा अपने पिता के लिए राह देख रहा है.


लंबे समय से कर रहे पुल की मांग
लोहा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि, लंबे समय से लोहा गांव में लाल पानी के नदी के ऊपर पुल बनाने की मांग प्रशासन से की जा रही है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है और हर साल की तरह इस साल भी गांव के लोग हादसे का शिकार हो गए. एनएमडीसी प्लांट से निकलने वाला मलबा लाल होता है इस वजह से नदी का पानी लाल पानी हो जाता है और बरसात के समय तो यह नदी पूरे उफान पर रहती है. ऐसे में पूरे ग्रामीण शहरी इलाके से कट जाते हैं. यहां ना नेटवर्क है और ना ही सड़क और ना ही पुलिया ऐसे में यहां ग्रामीणों का रहना दुश्वार हो गया है.


कलेक्टर ने इसपर क्या कहा
इधर इस मामले में दंतेवाड़ा कलेक्टर विनित नंदनवार का कहना है कि, यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. ऐसे में अब तक यहां ग्रामीणों को किसी तरह की कोई सुविधाएं नहीं मिल पाईं हैं. हालांकि जानकारी मिलने के बाद जरूर प्रशासन की टीम को भेजा गया और यहां प्रशासन की टीम ने 2 दिन रुककर मृतक सुखराम के परिजनों से मुआवजा राशि देने के संबंध में सारी डिटेल और जानकारी ली. वहीं एक टीम को लाल पानी के नदी में बुधराम के शव को खोजने के लिए भेजा गया और इस दौरान उन्होंने काफी मशक्कत की लेकिन अब तक बुधराम का शव नहीं मिल सका है. कलेक्टर ने कहा कि पुलिया और इस इलाके में सड़क बनाने की मांग को लेकर आवेदन जरूर मिला है लेकिन नक्सली दहशत की वजह से अब तक यहां कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है.


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