Dantewada News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों की रीति रिवाज, परंपरा और संस्कृति काफी विख्यात है. ये बाकी राज्यों के आदिवासियों की तुलना में काफी अलग भी है. इन आदिवासियों के लिए देवगुड़ी का भी अलग महत्व है. बस्तर के आदिवासी अंचलों में प्रत्येक गांव और पंचायतों में आदिवासियों की देवगुड़ी है.
देवगुड़ी का क्या होता अर्थ
देवगुड़ी से तात्पर्य भगवान के मंदिर से है जिन्हें आदिवासी अपनी कुल देवता के रूप में पूजते हैं. राज्य सरकार ने इन पुराने देवगुड़ियों के जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों रुपए का बजट पास किया है और कई जगहों पर देवगुड़ियों का कायाकल्प भी बदला है. लेकिन छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के घोर नक्सल प्रभावित गमावाड़ा गांव में स्थित देवगुड़ी पूरे प्रदेश के लिए रोल मॉडल का केंद्र बना हुआ है.
30 देवगुड़ी स्थलों का जीर्णोद्धार का काम पूरा
जिला प्रशासन द्वारा इस देवगुड़ी के कायाकल्प से दूरदराज से दंतेवाड़ा और बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक भी इस देवगुड़ी में पहुंच रहे हैं और बस्तर के संस्कृति की जानकारी भी ले रहे हैं. जिला प्रशासन ने कुल 143 पंचायतों में गांव के देवी-देवताओं की देवगुड़ियों को मरम्मत करने के साथ चित्रकला के माध्यम से कायाकल्प कर उसे संवारने में लगा है. अभी तक 30 देवगुड़ी स्थलों का जीर्णोद्धार का काम भी पूरा हो चुका है.
देवगुड़ी बना पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र
पूरे छत्तीसगढ़ के लिए रोल मॉडल के रूप में बने गमावाड़ा देवगुड़ी में जिला प्रशासन ने लाखों रुपए की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया है. ना सिर्फ मंदिर में नए शेड का निर्माण किया गया है बल्कि पूरे इलाके को खासकर पत्थरों को चित्रकला के माध्यम से बेहद ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया है. गमावाड़ा देवगुड़ी के पुजारी हिड़मा ने बताया कि यह गुड़ी हिगराज देवता की है जिनकी पूजा-अर्चना पूरे गांव वाले करते हैं. हिगराज देवता की पूजा-अर्चना करने से गांव में बीमारी लाचारी नहीं आती है और यहां जो भी अपनी मनोकामना लेकर आते हैं वह जरूर पूरी होती है. पुजारी ने बताया कि देव गुड़ी बन जाने से गांव वालों के लिए काफी अच्छा हो गया है और अब इस देवगुड़ी को देखने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं.
हर साल भव्य मेला का आयोजन भी किया जाएगा
पुजारी ने बताया कि पहले देवगुड़ी पूजा स्थल जर्जर अवस्था में था. जिला प्रशासन की तरफ से देवगुड़ी का पुन:निर्माण कार्य कराने से अब इसका कायाकल्प हो गया है. गांव वालों के ठहरने के लिए जगह बनाए गए हैं. पूजा स्थली में चित्रकला की जा रही है जिससे यह और भी सुंदर दिख रहा है. आने वाले समय में यहां हर साल भव्य मेला का आयोजन भी किया जाएगा.
प्रशासन द्वारा सतरंगी सूत्र अभियान चलाया जा रहा
देवगुड़ी के पुजारी ने बताया कि यह गुड़ी सैकड़ों साल पुराना है लेकिन इसके जीर्णोद्धार के लिए किसी तरह से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा था. अब यहां प्रशासन के द्वारा शेड निर्माण किए जाने से देवगुड़ी में ही पंचायत के सारे कामों के फैसले लिए जाते हैं. इस देवगुड़ी में जिला प्रशासन द्वारा सतरंगी सूत्र अभियान चलाया जा रहा है.
पूरे प्रदेश में रोल मॉडल के रूप में बना देवगुड़ी
दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि इस देवगुड़ी के प्रति ग्रामवासियों की काफी गहरी आस्था जुड़ी हुई है. इस देवगुड़ी को मॉडल के रूप में बनाया गया है. इस मंदिर के आसपास सैकड़ों साल पुराने पत्थर हैं. इन पत्थरों में भगवान के चित्रकला करने के साथ बड़े-बड़े शेड का निर्माण भी किया गया है. कलेक्टर ने बताया कि जिला प्रशासन इस देवगुड़ी में सतरंगी सूत्री अभियान भी चला रही है. इस अभियान के तहत मंदिर के पुजारी के समक्ष सभी ग्रामवासी संकल्प लेते हैं कि वे सत प्रतिशत कोविड वैक्सीन के साथ मलेरिया मुक्त दंतेवाड़ा सूचकांक-एनिमिया मुक्त, गंदगी मुक्त पंचायत, कुपोषण मुक्त, शत प्रतिशत स्कूली बच्चों का शाला में नामांकन, 100 फीसदी गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव और शत्-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण और आंगनबाड़ी में प्रवेश जैसे 7 प्रमुख कार्यो का पालन करेंगे.साथ ही ग्रामीणों को भी इसके लिये जागरूक करेंगे.
आदिवासी संस्कृति और परम्परा से पर्यटक हो सकेंगे रूबरू
दंतेवाड़ा कलेक्टर ने बताया कि इस देवगुड़ी के माध्यम से यहां दूर दराज से पहुंचने वाले पर्यटक आदिवासियों की विभिन्न संस्कृति, सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन, आभूषण और बोली-भाषा से परिचित हो सकेंगे.साथ ही उन्हें पहली बार एक ऐसा स्थान मिलेगा जहां आदिवासी अंचल की सभ्यता और संस्कृति को जानने-पहचानने के साथ-साथ करीब से महसूस कर सकेंगे. सैलानियों के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार स्वतः होगा और इसे विश्व पटल पर अलग पहचान मिलेगी जिससे आदिवासी संस्कृति और समृद्ध होगा.
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