Dantevada News: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में सावन (Sawan) के महीने में प्रसिद्ध नाग देवता के मंदिर में इन दिनों दूध अर्पित करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. सावन के महीने और नाग पंचमी में इस प्राचीन मंदिर में सिर्फ दंतेवाड़ा जिले से ही नहीं बल्कि आसपास के जिले और पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. 11वीं शताब्दी का यह नागफनी मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. खास बात यह है कि नाग पंचमी के दिन यहां हर साल मेला लगता है.
बस्तर के इतिहासकार हेमंत कश्यप ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के गीदम ब्लॉक में नागफनी गांव में नाग देवता का प्राचीन काल का मंदिर है. यहा परंपरा के अनुसार पंचमी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है. नागवंशी राजाओं द्वारा स्थापित भव्य मंदिर की स्थापत्य कला बेजोड़ है, साथ ही नाग की अद्भुत कथाएं चर्चित हैं. लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है, वहीं स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो यह मंदिर नागवंशी राजाओं के समय बनाया गया था, जिसे आज भी ग्रामीणों ने सहेज कर रखा है. जानकारी के मुताबिक संभाग का एकलौता प्राचीन नाग मंदिर है जो प्रशासनिक उपेक्षा का दंश भी झेल रहा है.
मंदिर में मौजूद हैं 11वीं शताब्दी की मूर्तियां
जानकार हेमंत कश्यप बताते हैं कि नाग मंदिर की मुख्य दिशा पश्चिम की ओर है और 11वीं और 12वीं शताब्दियों की मूर्तियां हैं. मंदिर में प्रवेश द्वार के बायीं ओर शिलाखंड में नरसिम्हा स्वामी की मूर्ति और दाईं ओर शिलाखंड में नृत्यांगना की मूर्ति स्थापित है. सभी मूर्तियां लगभग 2 से 3 फीट ऊंची हैं. मंदिर के गर्भगृह में बांयी ओर नाग नागिन की मूर्ति, गणेश भगवान की मूर्ति और शिलाखंड में द्वारपाल की मूर्ति स्थापित है.
नागवंशी राजाओं ने किया था मंदिर का निर्माण
बारसूर में नागवंश के पतन के बाद दक्षिण के नागवंशी राजाओं का राज था. नागवंशी राजाओं ने अपने शासनकाल में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था. उनमें से कुछ मंदिर आज भी अस्तित्व में हैं, जिनमें से एक गीदम बारसूर मार्ग में नागफनी गांव में नाग देवता का मंदिर स्थित है.