Chhattisgarh: एम्बुलेंस के इंतजार ने ग्रामीणों को बनाया लाचार, बच्चे को खाट पर लादकर 10 km पैदल चले घरवाले
Dantewada: पेड़ से गिरकर एक बच्चा घायल हो गया. परिजनों को 5 घंटे तक इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस की मदद नहीं मिली. बच्चे को खाट पर लादकर 10 किलोमीटर पैदल चल कर अस्पताल पहुंचाया.
Dantewada News: देश की आजादी के 75 साल बाद और छत्तीसगढ़ राज्य बने 22 साल बीतने के बावजूद आज भी छत्तीसगढ़ के बस्तर के कई गांव स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. ग्रामीण अंचलों में लाचार स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से ग्रामीण कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. आए दिन लोग मुसीबतों का सामना कर रहे हैं. कुछ महीने पहले ही बस्तर जिले के बारसूर इलाके में एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाने से एक गर्भवती महिला को खाट में करीब 5 किलोमीटर पैदल चल कर अस्पताल पहुंचाया गया था.
वहीं, एक बार फिर उसी इलाके में पेड़ से गिरकर एक बच्चा घायल हो गया. बच्चा के परिजनों को 5 घंटे तक इंतजार करने के बावजूद भी एंबुलेंस की मदद नहीं मिली. घायल बच्चे को परिजनों ने खाट पर लादकर 10 किलोमीटर पैदल चलने के बाद अपने पैसे से एक प्राइवेट वाहन करवाकर अस्पताल पहुंचाया. बच्चे का इलाज जारी है और उसकी जान खतरे से बाहर बताई जा रही है.
5 घंटे इंतजार करने के बाद भी नहीं पहुंची एम्बुलेंस
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के सीमा में मौजूद ग्राम पंचायत एरपोंड के कचेनार गांव में रहने वाला 14 वर्ष का नाबालिग कमलू इमली तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ा हुआ था. तभी वह पेड़ से फिसल कर ऊपर से गिर गया, जिससे उसके शरीर और पीठ में काफी गहरी चोट आई. जिससे वह तड़पता रहा. शाम हो जाने के चलते और गांव में सड़क नहीं बनने के कारण घायल नाबालिग का रातभर परिवार वाले जंगली जड़ी बूटी के सहारे उसका इलाज करते रहे.
सुबह होने के बाद उसे गांव से लगभग 40 किलोमीटर दूर बारसूर अस्पताल ले जाने के लिए खाट में लादकर लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलकर एरपोंड पंचायत के मालेवाही गांव तक लाया गया.
देरी होती तो कमलू की हालत काफी बिगड़ सकती थी
घायल नाबालिग के परिवार वालों ने सुबह करीब 9 बजे 108 एंबुलेंस से संपर्क किया. एम्बुलेंस के कर्मचारियों द्वारा 1 घंटे का समय दिया गया, लेकिन सुबह 9 से दोपहर 2 बज गए. ग्रामीण एंबुलेंस का इंतजार करते रह गए. इस बीच परिजनों ने 10 से 12 बार एंबुलेंस के लिए संपर्क किया इस दौरान कमलु की हालत और बिगड़ती चली गई.
5 घंटे बीत जाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आने से और घायल की हालत को देखते हुए परिजनों ने दंतेवाड़ा जिले के बारसूर अस्पताल जाने के लिए अपने पैसों से प्राइवेट वाहन करवाकर घायल को लगभग 4 बजे अस्पताल पहुंचाया. जहां उसका इलाज शुरू किया गया, डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि अगर और देरी होती तो कमलू की हालत काफी बिगड़ सकती थी. फिलहाल इलाज शुरू कर दिया गया है.
विकास से अछूते है एरपोंड पंचायत के कई गांव
कचेनार गांव के रहने वाले और घायल बच्चे के परिजन महेश कश्यप ने बताया कि बस्तर जिले के ग्राम पंचायत एरपोंड से जगदलपुर शहर की दूरी लगभग 120 से 130 किलोमीटर है. दंतेवाड़ा जिले की दूरी मात्र 35 किलोमीटर है. दोनों जिलों के बीच सरहदी गांव होने के कारण प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि ऐसे गांव में ध्यान नहीं देते. जिस वजह से उनके गांव में न तो विकास कार्य पहुंच रहा है. गांव में ना ही मूलभूत सुविधा है, ना ही स्वास्थ्य केंद्र है ना ही सड़क. गांव में नेटवर्क भी नहीं है.
ऐसे में गांव में जो भी व्यक्ति बीमार पड़ता है उसे खाट में ही लादकर 10 किमी पैदल चल मालवाही गांव तक पहुंचाया जाता है. यहां नेटवर्क मिलने से एंबुलेंस की मदद ली जाती है. लेकिन सही समय पर उन्हें मदद भी नहीं मिल पाती है. इससे पहले भी गांव में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. हर बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा आश्वासन तो मिलता है. लेकिन आज तक व्यवस्था नहीं हुई है और खासकर राज्य गठन होने के बाद 22 सालों से गांव के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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