Dantewada: 'ट्री मैन सिंड्रोम' बीमारी से ठीक होकर घर पहुंची से जागेश्वरी, चेहरे पर लौटी मुस्कान
Chhattisgarh: दंतेवाड़ा जिले के कोरगांव के बेंगुफर पारा की रहने वाली 8 साल की आदिवासी बालिका जागेश्वरी बचपन से ही इकथियोसिस हिस्ट्रिक्स यानी "ट्री मैन सिंड्रोम" बीमारी से पीड़ित थी.
Dantewada News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सलगढ़ कहे जाने वाले दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले के सबसे पिछड़े क्षेत्र के गांव में रहने वाली 8 साल की आदिवासी बालिका जागेश्वरी के चेहरे पर अब फिर से मुस्कान लौट आई है. दरअसल, जागेश्वरी दुर्लभ बीमारी "ट्री मैन सिंड्रोम" से पीड़ित थी ये बमारी एक करोड़ लोगों में केवल एक को होती है.
इस बीमारी के चलते जागेश्वरी के हाथ पैर और पूरा शरीर पेड़ की छाल की परत की तरह हो गया था. आर्थिक तंगी की वजह से परिवार वाले जागेश्वरी का इलाज कर पाने में सक्षम नहीं थे. दंतेवाड़ा जिले में भी इसका इलाज मुमकिन नहीं था, जिसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से जागेश्वरी की इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने की जानकारी बॉलीवुड सुपरस्टार सोनू सूद को मिली. इस पर सोनू सूद ने भी ट्वीट कर कहा कि चलिए देखते हैं ऊपर वाला है ना.
1 महीने तक चला इलाज
सोनू सूद के ट्वीट के बाद खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जागेश्वरी के इस दुर्लभ बीमारी से ईलाज के लिए गंभीरता दिखाई. अब आखिरकार राजधानी रायपुर में पूरे 1 महीने तक चले इलाज के बाद अब जागेश्वरी स्वस्थ होकर अपने घर लौट आई है. इस बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में जागेश्वरी को इलाज के लिए रायपुर भेजने का निर्णय लिया गया था. यहां पर एक्सपर्ट डॉक्टरों के इलाज से अब जागेश्वरी इस दुर्लभ त्वचा रोग बीमारी से ठीक हो चुकी है. उसके चेहरे में एक बार फिर से मुस्कान लौट आई है. इसको लेकर जागेश्वरी के परिवार वालों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धन्यवाद किया है.
"ट्री मेन सिंड्रोम" बीमारी से पीड़ित थी जागेश्वरी
दरअसल, दंतेवाड़ा जिले के कोरगांव के बेंगुफर पारा की रहने वाली 8 साल की आदिवासी बालिका जागेश्वरी बचपन से ही इकथियोसिस हिस्ट्रिक्स यानी "ट्री मैन सिंड्रोम" बीमारी से पीड़ित थी. इस बीमारी के चलते जागेश्वरी के हाथ पैर और पूरे शरीर में पेड़ की छाल की परत जैसी त्वचा हो गई थी. धीरे-धीरे ये पूरे शरीर में बढ़ती चली गई. इसकी वजह से जागेश्वरी कभी स्कूल ही नहीं जा पाई. जानकारों ने बताया कि यह एक तरह की दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है, जो करीब 1 करोड़ लोगों में किसी एक को होती है. इसका इलाज एक्सपर्ट डॉक्टर और बड़े हॉस्पिटल में ही संभव है. आर्थिक तंगी की वजह से जागेश्वरी का परिवार किसी बड़े हॉस्पिटल में इलाज कराने के लिए सक्षम नहीं था. इस वजह से परिवार वालों को जागेश्वरी की हालत को देखते हुए काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा था.
दंतेवाड़ा में हुआ शुरुआती इलाज
जागेश्वरी की इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने की खबर एबीपी न्यूज ने भी प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छात्रा के इलाज के लिए तत्परता दिखाई. दंतेवाड़ा जिले के स्वास्थ विभाग की टीम जागेश्वरी के गांव पहुंची. उसे एंबुलेंस के माध्यम से दंतेवाड़ा लाया गया, जहां प्रारंभिक इलाज के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए रायपुर भेजा गया. जागेश्वरी के साथ दंतेवाड़ा से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी रायपुर गई.
जागेश्वरी के इलाज का सारा खर्चा दंतेवाड़ा स्वास्थ्य विभाग ने उठाया. लगभग 1 महीने तक एक्सपर्ट डॉक्टरों के बेहतर इलाज के बाद आखिरकार जागेश्वरी ठीक हो गई. अब उसका पूरा शरीर आम लोगों की तरह हो गया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर दी जानकारी
वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर बताया कि अपने जेनेटिक बीमारी की वजह से देशभर में चर्चित जागेश्वरी अंततः स्वस्थ होकर अपने घर लौट गई है. दंतेवाड़ा की आदिवासी बच्ची दुर्लभ त्वचा रोग से पीड़ित थी. उसका इलाज निरंतर चल रहा था. जागेश्वरी के स्वास्थ्य को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में उसको इलाज के लिए रायपुर भेजने का निर्णय लिया गया था, जहां इलाज के बाद अब जागेश्वरी पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौट गई है.