Chhattisgarh Election: दंतेवाड़ा में ग्रामीणों ने किया विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान, बोले- 'सालों से इंतजार कर रहे, लेकिन...'
जिले के भांसी क्षेत्र के कई गांव आजादी के 75 साल बाद भी अंधेरे में डूबे हुए हैं लंबे समय से यहां के ग्रामीणों के द्वारा उनके गांव में बिजली पहुंचाने की मांग की जा रही है लेकिन मांग पूरी नहीं हो रही है
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में भांसी गांव के कलारपारावासी देश के आजादी के 77 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. यहां बिजली न पहुंचने से पूरा इलाका अंधेरे में डूबा हुआ है. इस पारा में 50 से ज्यादा परिवार रहते हैं, लेकिन सरकार ने इस पारा तक बिजली पहुंचाने की आज तक जहमत नहीं उठाई है. यहां के ग्रामीण द्वारा जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं होता देख आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. यहां के नाराज ग्रामीणों ने चुनाव में वोट नहीं देने का निर्णय लिया है.
दरअसल, इन ग्रामीणों का कहना है कि गांव में छोटे-छोटे बच्चे भी हैं और शाम होते ही इनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है. इस समस्या से एक नहीं दो नहीं बल्कि कई बार प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. लिहाजा ग्रामीण बार-बार गुहार लगाकर पूरी तरह से थक चुके हैं. इसलिए इस बार विधानसभआ चुनाव बहिष्कार करने का सामूहिक रूप से ग्रामीणो ने निर्णय लिया है. बता दें कि, जिले के भांसी गांव के कलारपारा में 40 से अधिक परिवार रहते हैं. रेलवे पटरी के उस पार बसे कलारपारा के रहवासी लंबे समय से बिजली पहुंचाने की मांग कर रहे हैं.
प्रशासन ने भी कुछ नहीं किया
यहां के प्रभावित रहवासी हर उस दरवाजे तक पहुंचे, जहां से भी इसका हल दिखा, लेकिन इतने सालों बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया. यहां वैकल्पिक व्यवस्था के लिए क्रेडा विभाग ने अपना सोलर प्लेट लगा दिया है जो अक्सर खराब रहता है. बिजली पहुंचने के लिए बड़ी समस्या रेलवे क्रॉसिंग था, लेकिन ग्रामीणों ने किसी तरह रेलवे के अधिकारियों से संपर्क कर रास्ता निकाला और दंतेवाड़ा बिजली ऑफिस में से दस्तावेज विशाखापट्टनम रेल मंडल ऑफिस भेज दिया गया और वहां से भी बिजली लगाने की अनुमति मिल गई है. दूसरी ओर स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा अब तक बिजली पहुंचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. कलारपारा निवासी आरती कर्मा ने बताया कि, दंतेवाड़ा के पूर्व कलेक्टर दीपक सोनी ने आश्वासन दिया था कि उनके गांव में बिजली और मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने की कवायद शुरू होने वाली है. बिजली पहुंचाने की मंजूरी भी मिल गई है, लेकिन इसके बावजूद आज तक बिजली का एक पोल तक गांव में नहीं गढ़ पाया है.
ग्रामीणों ने क्या कहा?
वहीं वर्तमान कलेक्टर विनीत नंदनवार से भी कई बार यहां के ग्रामीणों ने गुहार लगाई, लेकिन कलेक्टर की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला. स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही दंतेवाड़ा विधायक देवकी कर्मा से भी कई बार ग्रामीण गांव में बिजली पहुंचाने की गुहार लगा चुके हैं, आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है. बिजली के साथ-साथ पानी और सड़क की बदहाली से भी इस गांव के निवासी जूझ रहे हैं. इन सारी परिस्थितियों से लड़ते ग्रामीण अपना प्रयास जारी रखे, लेकिन खासकर नेताओं से बेहद नाराज होकर आगामी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डालने का निर्णय ले चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके गांव में बिजली के पोल नहीं गढ़ जाते और बिजली नहीं पहुंच जाती वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
यहां से एनएमडीसी को हो रही करोड़ों की कमाई
गौरतलब है कि भांसी गांव एनएमडीसी लौह अयस्क खदान से लगा हुआ है. एनएमडीसी के द्वारा इस गांव के आसपास लंबे समय से लौह अयस्क का दोहन किया जा रहा है. जिससे प्रबंधन को करोड़ो रुपए की कमाई भी हो रही है, लेकिन पहाड़ के नीचे बसा यह गांव अंधेरे के साथ लाल आतंक और लाल जहर का भी दंश झेल रहा है. जहां तहां वेस्ट मटेरियल से जमीन भी बर्बाद हो रही है और नदी में लाल जहर घुलकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही है. इन विषयों पर कभी-कभी आंदोलन भी होता है, लेकिन सिर्फ अधिकारियों से आश्वासन ही मिलता है. पहाड़ से सटे इन अंधेरे से डूबे गांवो में जंगली जानवरों का भी बड़ा खतरा है. इन सारी परिस्थितियों से लड़ते ग्रामीण अब पूरी तरह से त्रस्त हो चुके हैं जिसके चलते विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डालने का सामूहिक रूप से निर्णय लिया है.