Diwali 2022: अंबिकापुर में सजा इको फ्रेंडली दीयों का बाजार, गोबर से बने दीये खरीद रहे लोग
सरगुजा में दीपावली को देखते हुए जिले के 17 गोठानों में गोबर के दिए बनाए जा रहे हैं. समूह की महिलाओं ने अब तक साढ़े सात हजार से अधिक गोबर के दीयों की बिक्री कर चुकी हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से ग्रामीण महिलाओं को बंपर फायदा हो रहा है. इस योजना के तहत गांव-गांव में गौठान बनाए गए हैं, जहां ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हर संभव प्रयास किया जा रहा है. सरगुजा में दीपावली पर्व को देखते हुए जिले के 17 गोठानों में गोबर के दिए बनाए जा रहे हैं. समूह की महिलाओं ने अब तक साढ़े सात हजार से अधिक गोबर के आकर्षक और सुन्दर दीये की बिक्री कर चुकी हैं.
मिट्टी की जगह गोबर के दीए बिक रहे
दीपावली पर घरों को रोशन करने के लिए जलाए जाने वाले मिट्टी के दियों के स्थान पर इस बार गोबर के दियों से घर-आंगन रोशन होंगे. रंग-बिरंगे गोबर के ये दीये बाजार में आ भी गए हैं. जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के घड़ी चौक में बिहान की दीदियों के द्वारा गोबर से बने दीपक की बिक्री की जा रही है. स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस दिशा में नई पहल की है. महिलाओं ने गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करने का जरिया बना लिया है. ये महिलाएं आकर्षक दीए बनाकर बेचने का कार्य कर रही हैं.
इको फ्रेंडली दीया
गौरतलब है कि इको फ्रेंडली होने के चलते शहर के लोगों में मिट्टी से बने दीये की अच्छी खासी मांग आ रही है. जिले के गोठानों में लगभग 20 हजार दिया बनाए जाने और उसे बेचने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में यह दीया घड़ी चौक अम्बिकापुर सहित सभी ब्लाक मुख्यालय में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान समय में महिलाएं करीब 7500 दीये की बिक्री कर चुकी हैं. इसके अलावा महिलाएं रंगोली और गोबर से निर्मित गमला भी बेच रही हैं जिससे बढ़िया मुनाफा आ रहा है.
होली में बनाती हैं अबीर
बता दें कि शासन हर त्योहार में लोगों से स्वदेशी सामान खरीदकर इस्तेमाल करने की अपील करती रही है. होली में भी समूह की महिलाओं ने फल, सब्जी और फूलों से खास अबीर बनाया था, जो केमिकल युक्त अबीर से कई गुना अच्छा था. इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं थे. इसके बाद अब हर दीपावली से पहले राज्य भर के गौठानो में गोबर से दीये बनाए जा रहे है, जो लोगों को खूब पसंद आ रहा है. अम्बिकापुर शहर के अलावा गांव-गांव में गोबर के दिए की खूब डिमांड बढ़ी है. इससे समूहों में कार्य करने वाली ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक लाभ मिल रहा है.
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