देश में बढ़ी Bastar कॉफी की डिमांड, अब 5 हजार एकड़ में होगी खेती, वैज्ञानिकों ने शुरू की तैयारी
Bastar News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिले में 5 हजार एकड़ में की जाने वाली कॉफी की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
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Chhattisgarh Bastar Coffee Farming: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में उद्यानिकी विभाग की मदद से किसानों के जरिए उगाई गई बस्तर की कॉफी (Coffee) पूरे देश में फेमस है. इसी को देखते हुए अब जिले में 5 हजार एकड़ में की जाने वाली कॉफी की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. पहले चरण में जिले के बास्तानार और दरभा में की जाने वाली कॉफी की खेती में कोई परेशानी ना आए और कॉफी की पौधे तेज धूप के चलते नष्ट ना हों, इसके लिए कॉफी के पौधे लगाने से पहले यहां पर सिल्वर ओक के पौधे लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. ये काम बारिश से पहले पूरा हो सके इसके लिए उद्यानिकी विभाग और उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिक अपनी नर्सरी में इन पौधों को तैयार करने में जुटे गए हैं. जल्द ही इन पौधों को दरभा और बास्तनार में 500-500 एकड़ में लगाया जाएगा. उद्यानिकी विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले के अन्य ब्लॉकों में भी ये काम जल्द शुरू किया जाएगा.
कॉफी के पौधों को सुरक्षा देता है ये पेड़
दरअसल, कॉफी के पौधों को सुरक्षा देने के लिए लगाए जाने वाले सिल्वर ओक के पौधे 3 साल में तैयार हो जाते हैं. सामान्य रूप से इनकी ऊंचाई करीब 100 फीट होती है. उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ केपी सिंह ने बताया कि ये पेड़ चाय और कॉफी बागानों और पहाड़ी क्षेत्रों की वनस्पति मानी जाती है. सिल्वर ओक को जीव वैज्ञानिक ग्रेविलिया रोबूस्टा के नाम से जानते हैं. ये मूलरूप से ऑस्ट्रेलिया का पेड़ है, जिसे वहां पर सिल्क या सिल्की ओक के नाम से भी जानते हैं. करीब 3 साल पहले दरभा में की गई कॉफी की खेती सफल होने में इस पौधे का अहम योगदान है. 3 साल पहले लगाए गए पौधे इस समय करीब 15-15 फीट तक ऊंचे हो चुके हैं, ये कॉफी के पौधों को छाया देकर उन्हें गर्मी से बचाते हैं. इसके साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता में बढ़ोतरी करते हैं, इसकी लड़की भी आम पेड़ों की लकड़ी से ज्यादा महंगी बिकती है.
दरभा और बास्तानार में लगाए जाएंगे पौधे
उद्यानकी कॉलेज में तैयार किए जाने वाले सिल्वर ओक के पौधों के लिए वैज्ञानिकों ने बीज आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से मंगवाया है. वैज्ञानिक केपी सिंह ने बताया कि बीज करीब 3 हजार रुपए किलो के दाम पर मिलता है. इन बीजों से तैयार किए जाने वाले पौधे को लेकर अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है. पहले चरण में करीब 10 किलो बीज मंगाए गए हैं, जिन्हें 1000 एकड़ में लगाया जाएगा और जिसके बाद कॉफी के पौधे रोपे जाएंगे.
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