पूर्व नक्सली ने पास की 10वीं की परीक्षा, डिप्टी CM ने दी बधाई, एसपी बोले- 'कलम के सामने AK47...'
Kabirdham News: पूर्व नक्सली दीवाकर ने दसवीं की परीक्षा पास की है. उसका कहना है कि अन्य नक्सलियों को भी पुलिस और सरकार की मुख्यधारा में आना चाहिए. जो ऐसा नहीं करते उन्हें मार दिया जाना चाहिए.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में नक्सली संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले दीवाकर ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास की है. जिसको लेकर डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने वीडियो कॉल के जरिए दीवाकर को बधाई दी. 14 लाख रुपए के इनामी नक्सली दिवाकर ने 2021 में आत्मसमर्पण कर दिया था.
‘कलम के सामने AK47 भी फीका’
पूर्व नक्सली दीवाकर की सफलता पर कबीरधाम के एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि वे उन छात्रों के लिए प्रेरणा हैं जो असफलता से डरते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं. उन्होंने 35% अंक प्राप्त किए हैं लेकिन जिन परिस्थितियों में उन्होंने पढ़ाई की वे उनके 35% को 95 प्रतिशत से भी अधिक बनाते हैं.
#WATCH | Chhattisgarh: SP Kabirdham, Abhishek Pallava says, "Diwakar, a Naxalite, who was carrying a reward of Rs 14 lakh, surrendered in 2021. He worked for 18 years in Maoist organisations. He used to carry an AK47 rifle. He passed his class 10th examinations in his third… https://t.co/y9gO9lds0O pic.twitter.com/BlwnAlJh3Z
— ANI (@ANI) May 19, 2024
एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा 16-17 साल तक नक्सली रहने के बाद फिर से अपनी शिक्षा शुरू करना एक सराहनीय काम है. उन्होंने कहा कलम के सामने AK47 भी फीका है. 2021 में सरेंडर करने के बाद पूर्व नक्सली दीवाकर तीसरी बार में दसवीं कक्षा में पास हुआ है. इससे पहले दो बार वो दसवीं में फेल हो गया था. उसकी पत्नी लक्ष्मी जो 8 लाख की ईनामी थी वो भी तीन विषयों में पास हुई है.
एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि मैं अन्य नक्सलियों से भी अपील करूंगा कि वो भी आत्मसमर्पण करें और शासन की सरेंडर वाली पॉलिसी का फायदा उठाये. एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि पूर्व नक्सली दीवाकर बस्तर के कुंडा गांव का रहने वाला है. इसे 15 साल की उम्र माओवादी घर से उठाकर अपने साथ ले गए थे.
‘नक्सली सरकार की नीतियों को नहीं अपनाते तो उन्हें मार दिया जाएं’
पूर्व नक्सली दिवाकर ने बताया कि परिवार में सिर्फ वो और मेरी उनकी पत्नी हैं. मैंने और मेरी पत्नी ने परीक्षा दी थी वो केवल दो विषयों में उत्तीर्ण हुई है. प्रदेश के गृह मंत्री की तरफ से हमें किसी की मदद का आश्वासन दिया गया है. इसके साथ ही हबमें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. दिवाकर ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सभी नक्सली पुलिस व सरकार की मुख्यधारा में आएं. अगर वे मुख्यधारा में नहीं आते हैं और सरकार की नीतियों को नहीं अपनाते हैं, तो उन्हें मार दिया जाना चाहिए. यही मेरा मानना है. जबकि मैं खुद भी नकस्ली था.
‘कैदियों की तरफ जंगल में रहते थे’
दिवाकर ने जब मैं नक्सली संगठन में था तो हम पूरे दिन और रात जंगलों में घूमते थे. मैं 2002 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था जब मैं 16 साल का था. नक्सली नेता आदिवासी लड़कों को भर्ती करते थे और उनका ब्रेनवॉश करते थे. जगंल में भोजन की कोई व्यवस्था नहीं होती थी. हम अपने परिवारों से नहीं मिल सकते थे. जैसे जेल में कैदी रहते है वैसे जगंल में कैदियों की तरह रहना पड़ता था. पुलिस लगातार नक्सलियों का पीछा करती थी. कई मुठभेड़ों में नक्सली मारे जाते थे, तब मैंने नक्सली संगठन छोड़ने का फैसला कर लिया और 2021 में आत्मसमर्पण कर दिया.