Dhamtari News: छत्तीसगढ़ में गर्मियों के दिन जंगली इलाकों में ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से जूझना पड़ता है. धमतरी जिले के टाइगर रिजर्व सहित सामान्य वन मंडल में एक हाथी ने लगातार तीन दिनों में पांच ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है. लगातार घट रही घटनाओं से ग्रामीणों में हाथियों को लेकर दहशत तो है ही, वहीं वन विभाग को लेकर उनमें आक्रोश भी पनपने लगा है. 


तीन दिनों में पांच ग्रामीणों की मौत


जिले के सिहावा विधानसभा के टाइगर रिजर्व सहित सामान्य वन मंडल में तकरीबन 24 हाथियों का झुंड पिछले दो माह से डेरा जमाए हुए हैं. इस झुंड से अलग होकर एक हाथी पिछले 1 सप्ताह से टाइगर रिजर्व की कंपाउंड नंबर 348 के जंगल में अकेला विचरण कर रहा है. इसी अकेले हाथी ने शनिवार को कक्ष क्रमांक 348 टाइगर रिजर्व के जंगल में महुआ बीनने गए एक ग्रामीण महिला और एक युवक को पटक कर मौत के घाट उतार दिया. 


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5वीं कक्षा की बच्ची को हाथी ने पटक कर मार डाला


रविवार को फिर इसी हाथी ने 352 कंपाउंड में महुआ बिनने गई एक युवती को मौत के घाट उतार दिया. वहीं सोमवार को सामान्य वन मंडल के नगरी रेंज 349 कंपाउंड के जंगल में एक बच्ची और महिला की मौत हुई है. 11 वर्ष की सिमरन साहू अपने पिता शेखर साहू के साथ महुआ बीनने नगरी रेंज के तुमबाहरा के जंगल गयी थी. इस दौरान हाथी ने बच्ची को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया. साथ गए पिता कुछ समझ पाता तब तक हाथी ने बच्ची को मौत के घाट उतार दिया था. सिमरन अपने माता-पिता की अकेली लड़की थी और कक्षा पांचवी में पढ़ रही थी. वहीं एक और घटना में संबलपुर निवासी एक महिला चारगांव के जंगल गयी थी. इसी बीच हाथियों ने उसको भी पटक पटककर मार डाला.


जंगल के रक्षक 21 मार्च से हड़ताल पर


वहीं एक तरफ वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर हैं. दूसरी तरफ हाथियों ने तीन दिन के अंदर मासूम बच्ची सहित पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हाथी को लेकर वो लोगों को लगातार अलर्ट करते हैं और मॉनिटरिंग कर हाथियों पर निगाह बनाये रखते हैं. फिर भी इलाके में गजराज के हमले में तीन दिन के अंदर एक के बाद एक मौत ने लोगों को झकझोर रख दिया है.


ग्रामीण घरों में अलाव जलाकर रहें


सीतानदी रिजर्व फारेस्ट के डीएफओ वरुण जैन ने कहा कि बार-बार मुनादी करने के बावजूद लोग जंगल में जा रहे हैं. गांव में कल दो बार मुनादी करवाई गई थी. लेकिन अब लग रहा है गांव वालों को और ज्यादा सजग करने का प्रयास करना पड़ेगा ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न घटे. ग्रामीणों को कहा गया है कि जरूरत हो तभी जंगल में जाएं. अनावश्यक जंगलों में न जाएं. जो भी आश्यकताएं है हमें सूची बना कर दें हम उपलब्ध कराएंगे. जब तक हाथी यहां है महुआ बिनने न जाएं. रात में ग्रामीण आपने घरों में अलाव जलाकर या रौशनी करके रहें ताकि हाथी रहवासी इलाकों में न आए और वो जंगल में ही रहे.


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