Bastar News: विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में बस्तर के आदिवासियों की नाराजगी देखने को मिली. प्रशासन के द्वारा शहर के पीजी कॉलेज ग्राउंड में बड़े स्तर पर आम सभा का आयोजन किया गया और यहां सीएम ने आदिवासी समाज समेत बस्तर वासियों को करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की सौगात दी. लेकिन सभा के मंच से सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी नदारत रहे और इसके पीछे समाज की सरकार के प्रति नाराजगी बताई जा रही है. 


समाज के पदाधिकारियों ने मांगों को अनदेखी करने का लगाया आरोप
सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर समेत लगभग समाज के सभी पदाधिकारी सीएम कार्यक्रम से पूरी तरह से दूरी बनाए रखे हुए थे. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी समाज के एक गुट ने शहर में आक्रोश रैली भी निकाली और इस रैली के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की. बस्तर में सर्व आदिवासी समाज की नाराजगी अब खुलकर दिखने लगी है. समाज के लोगों ने अपनी मांगों को राज्य सरकार के द्वारा उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. यही वजह है कि सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने बस्तर में विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से पूरी तरह से दूरी बनाए रखे हुए थे.


आदिवासी समाज बघेल सरकार से है नाराज- प्रकाश ठाकुर  
सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने बताया कि खुद को आदिवासियों की सरकार बताने वाली भूपेश सरकार लंबे समय से आदिवासियों की मांग पूरी नहीं कर रही है. यहां के आदिवासी युवा सरकार द्वारा उनके साथ छलावा करने का आरोप लगा रहे हैं. प्रकाश ठाकुर ने बताया कि सरकार ने शासकीय विभागों में निकलने वाले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के विभिन्न पदों में भर्ती के लिए स्थानीय युवाओं को  प्राथमिकता देने की बात कही थी, लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में हाईकोर्ट में स्टे लगाया गया है. बावजूद इसके राज्य सरकार अब तक इस स्टे को हटा पाने में कामयाब साबित नहीं हो पाई है, जिस वजह से शासकीय विभागों में निकलने वाले भर्ती में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है, और समाज के युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. 


युवाओं की बेरोजगारी है सबसे बड़ा मुद्दा
इससे पहले भी कई बार समाज के युवा और लोग अपनी इस मांग को लेकर बस्तर के सभी 12 विधायकों के कार्यालय का घेराव कर चुके हैं. बावजूद इसके सरकार इस मांग पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही हैं. यही नहीं आदिवासी समाज ने पेसा कानून में संशोधन करने की भी मांग की थी, लेकिन इस मांग पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है. कुल मिलाकर आदिवासी समाज के मांगों को सरकार दरकिनार कर रही है. इस वजह से सरकार के प्रति समाज के लोगों में काफी नाराजगी है. इधर पहले ही मुख्यमंत्री ने बस्तर में आदिवासी समाज के दो गुटों में बंटे होने की बात कही है, ऐसे में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियो के नहीं पहुंचने को लेकर इसे एक गुट माना जा रहा है. फिलहाल इन नाराज लोगों को कांग्रेस की सरकार मना पाने में कामयाब हो पाती है कि नहीं यह आगामी चुनाव में देखने वाली बात होगी.


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