Dhamtari News: अगर आज आपके पास हैप्पी दिवाली के मेसेज आने लगे तो आप एक बार कैलेंडर उठाकर तारीख जरूर चेक करेंगे की आज ही दिवाली है. तब पता चलेगा की दिवाली के लिए तो अभी एक सप्ताह का और वक्त बचा है लेकिन हैप्पी दिवाली के मैसेज आज क्यों आ रहे है. चलिए परेशान मत होइए आपको बता ही देते हैं कि ये दिवाली से पहले दिवाली मानने की क्या परंपरा है. ये परंपरा छत्तीसगढ़ के सेमरा गांव में मनाई जाती है और देश में कहीं नहीं मनाई जाती है.


दिवाली मानने की सबसे अनोखी परंपरा
दरअसल, दिवाली खुशियों का पर्व है. भगवान राम की लंका पर जीत के बाद ये त्यौहार मनाया जाता है. इस साल भी 24 अक्टूबर को देशभर में दिवाली मनाई जाएगी. हर घर में जगमगाते दिए अंधकार को पीछे धकेल देगी. एक अनोखी दिवाली के बारे में आज आपको बताते हैं जहां दिवाली से पहले ही दिवाली मनाई जा रही है. गांव में 18 अक्टूबर की लक्ष्य पूजा और 19 को गोवर्धन पूजा के साथ दिवाली का आरंभ हो गया है. 


दिवाली से एक सप्ताह पहले दिवाली
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में देशभर में सबसे अनोखी दिवाली मनाई जाती है. जिले के सेमरा गांव में दिवाली मानने का सबसे अलग दस्तूर है. दिवाली के एक सप्ताह पहले ही त्यौहार मनाने की परंपरा है. जो पिछले 5 दशकों से चली आ रही है. यहा सिर्फ दिवाली ही नहीं होली, हरेली पोला त्यौहार भी एक सप्ताह पहले ही मना ली जाती है. इस साल भी गांव के हर आंगन में खूबसूरत रंगोली बनाई गई है. मिट्टी के दिए से पूरा गांव जगमगा उठा और पटाखों की आवाज से आसमान में शोर मचाने लगा


आखिर क्यों एक सप्ताह पहले दीपावली मनाई जाती है?
इस सवाल का जवाब गांव के ग्रामीण गजेंद्र सिन्हा ने दिया है. उन्होंने बताया की हमारे गांव में सिदार देव है. उन्होंने इस गांव को एक विपत्ति से मुक्ति दिया था. इसके बाद गांव के एक पुजारी को उन्होंने सपना दिखाया था. इसके अनुसार सिदार देव ने कहा कि गांव में कभी आपदा विपत्ति नहीं आने दूंगा. आप लोगों को सबसे पहले मेरी पूजा करनी होगी. इस लिए हर साल यहां 7 दिन पहले ही त्यौहार मनाया जाता है.


परंपरा तोड़ने पर गांव में आफत आने का डर
इसे अंधविश्वास कहें या आस्था ये आपको तय करना है लेकिन ग्रामीण इस लकीर को तोड़ने की जुर्रत नहीं करते हैं. उनका मानना है की कोई न कोई अनहोनी हो जाती है. गांव की देवकी निर्मलकर ने कहा कि ऐसा नहीं करने से उनके ऊपर आफत आ सकती है. वहीं इस परंपरा से ग्रामीण काफी खुश है. गांव के ग्रामीणों ने कहा कि हमारे यहां रिश्तेदार समय से पहले गांव आ जाते हैं. गांव का त्यौहार तो देखते ही हैं बगल वाले गांव का भी त्यौहार देख लेते हैं. बेटी बहू भी मायके और ससुराल में त्योहार मना लेती हैं.