(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
छत्तीसगढ़ के इस जिले में 60 करोड़ की लागत से लगेगा बायो गैस प्लांट, रोजगार की बढ़ी संभावना
Chhattisgarh News: बायो गैस संयंत्र के अनेक फायदे होते हैं. पर्यावरण को स्वच्छ रखने, ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन में कमी लाने और रोजगार सृजन में भी बायो गैस संयंत्र मदद करता है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में ‘बायो गैस’ संयंत्र लगेगा. भिलाई नगर निगम, छत्तीसगढ़ बॉयो फ्यूल प्राधिकरण और भारत पेट्रोलियम के बीच समझौता हो गया है. अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि जामुल में 60 करोड़ रुपये की लागत से ‘कम्प्रेस्ड बॉयो गैस’ (सीबीजी) संयंत्र स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि संयंत्र के लगने से भिलाई और दुर्ग जिले के 150 मिट्रिक टन ठोस अपशिष्ट का उपयोग जैव ईंधन उत्पादन में किया जा सकेगा.
अधिकारियों के मुताबिक संयंत्र लगाने का उद्देश्य नगरीय ठोस अपशिष्ट से जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देना है. उन्होंने बताया कि बायो गैस संयंत्र के लग जाने से रोजगार का अवसर पैदा होगा. प्रति वर्ष प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा. अधिकारियों ने बताया कि संयंत्र की स्थापना से ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में कमी आयेगी और पर्यावरण स्वच्छ होगा. बायो गैस संयंत्र लगाने के लिए भिलाई नगर निगम, छत्तीसगढ़ बॉयो फ्यूल प्राधिकरण और भारत पेट्रोलियम ने समझौते पर हस्ताक्षर किये.
कहां होगी कम्प्रेस्ड बॉयो गैस संयंत्र की स्थापना?
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सतत योजना के अंतर्गत बायो गैस संयंत्र लगाने के लिए समझौता हुआ है. बता दें कि बायोगैस एक पर्यावरण-अनुकूल, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है. बता दें कि बायोगैस एक पर्यावरण-अनुकूल, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री अरूण साव की मौजूदगी में 13 मार्च 2024 को नगर निगम रायपुर, भिलाई, सीबीडीए और बीपीसीएल के बीच बायो गैस संयंत्र की स्थापना के लिए त्रिपक्षीय एमओयू हुआ था. इसी क्रम में सोमवार को नगर पालिक निगम भिलाई, सीबीडीए और भारत पेट्रोल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच त्रिपक्षीय रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. समझौते के तहत जामुल में कम्प्रेस्ड बॉयो गैस संयंत्र की स्थापना की जायेगी.
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