Durg News: कोरोना के चलते बच्चों की पढ़ाई के नुकसान ऐसे होगी भरपाई, दुर्ग जिला प्रशासन ने की नई पहल
Durg News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला प्रशासन ने कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करने के लिए और बच्चों की शिक्षा बेहतर करने के लिए नई पहल की शुरुआत की है.
Chhattilgarh News: कोरोना काल में बच्चों के शिक्षा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है और बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ गए हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला प्रशासन ने बच्चों की शिक्षा बेहतर करने के लिए नई पहल की शुरुआत की है. जिसमें जिला स्तर पर भी मासिक परीक्षा के पेपर सेट होंगे. इनके रिजल्ट को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाएगा. जिन विद्यालयों के नतीजे खराब होंगे. वहां रिजल्ट बेहतर करने की दिशा में कार्य किया जाएगा. यह निर्देश कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने दिये.
कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने कहा कि मासिक परीक्षा के नतीजों के आधार पर इस बात का बेहतर तरीके से आंकलन किया जा सकेगा कि किन स्कूलों में रिजल्ट इंप्रूव करने के लिए अधिक ध्यान दिये जाने की जरूरत है. विभिन्न स्कूलों में रिजल्ट खराब होने के अनेक कारण हो सकते हैं. कम रिजल्ट वाले स्कूल के शिक्षकों से चर्चा की जाएगी ताकि इसका कारण जान सकें और प्रभावी नतीजों के लिए काम किया जा सके.
हर महीने ली जाएगी परीक्षा, कमजोर बच्चों पर दिया जाएगा विशेष ध्यान
कलेक्टर ने कहा कि कभी-कभी शिक्षकों की मेहनत के बावजूद रिजल्ट खराब हो सकता है. इसके कारण की गंभीर समीक्षा की जरूरत होगी. हम सब बैठकर यह करेंगे और रिजल्ट बेहतर लाने प्रभावी रणनीति बनाकर काम करेंगे. बैठक में कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी से जिले में शिक्षा की स्थिति के बारे में भी पूछा. डीईओ जायसवाल ने बताया कि कोविड में हुई ऑनलाइन पढ़ाई के चलते जो लर्निंग लास हुआ है. उसे पूरा करने की दिशा में हम सब कार्य कर रहे हैं.
हर हफ्ते कलेक्टर करेंगे बच्चों की अटेंडेंस की समीक्षा
कलेक्टर ने कहा कि यह देखा गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों का लर्निंग लास हुआ है. ऑफलाइन पढ़ाई हमेशा प्रभावी होती है. कक्षाओं में अटेंडेंस अच्छी हो तो इसके नतीजे बेहतर आयेंगे. सभी स्कूलों की अटेंडेंस की मासिक रिपोर्ट बनेगी और ब्लाकवार इसकी समीक्षा होगी. कलेक्टर इसे हर सप्ताह देखेंगे.
जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं उन्हें फिर से स्कूल जाने के लिए किया जाएगा प्रयास
कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को पाठशाला से जोड़ना अहम जिम्मेदारी है. हमें यह देखना है कि बच्चे ड्रापआउट न हों. इसके लिए जो चिन्हांकित बच्चे हैं. उनके यहां स्कूल के शिक्षक खुद जाए और माता-पिता को मोटिवेट करेंगे. उन्होंने कहा कि कोविड में जिन बच्चों ने अपने अभिभावकों को खो दिया है. उनकी बेहतर शिक्षा की व्यवस्था के लिए शासन ने महतारी दुलार योजना आरंभ की है. इसका लाभ ऐसे सभी बच्चों को मिल पाए, यह भी सुनिश्चित करना है.
कमजोर बच्चों पर होगा फोकस मेधावी बच्चों को किया जाएगा प्रोत्साहित
कलेक्टर ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को लेकर दो बातों पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा. कमजोर बच्चों को वापस ट्रैक पर लाना, इसके लिए मेहनत करना. जिन बच्चों में विलक्षण प्रतिभा है. उन्हें उभारने के लिए हर संभव संसाधन उपलब्ध करना. इसके लिए जिले में डीएमएफ के माध्यम से कोचिंग की पहल की गई है. वो स्वागत योग्य है. एजुकेशन के लिए संसाधन उपलब्ध करना और इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है.
ये भी पढ़ें-