Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के इस जिले में महिलाएं चलाएंगी 12 मिलेट्स कैफे, स्वसहायता समूह के जरिेए ऐसे होगा संचालन
Chhattisgarh Millet Programme: दुर्ग के डीएम ने कहा कि मिलेट्स ऑन व्हील्स भी तैयार करें, ताकि मिलेट्स के पौष्टिक व्यंजनों को और लोकप्रियता मिल सके और उद्यमियों के लिए अच्छे अवसर पैदा हो सके.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के लोगों को बहुत ही जल्द मिलेट्स कैफे का आनंद ले सकेंगे. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन शुरू किया गया था. इसके तहत छत्तीसगढ़ के कई जिलों में विलेज कैफे खोले जा रहे हैं. उसी क्रम में अब दुर्ग जिले के नगरी निकाय क्षेत्रों में 12 मिलेट्स कैफे खोले जाएंगे. इसके लिए दुर्ग डीएम ने अधिकारियों को जगह चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जल्द से जल्द कैफे को शुरू करने के निर्देश भी दिए हैं.
दुर्ग जिले में 12 मिलेट्स कैफे खोले जाएंगे
मिलेट्स के व्यंजनों की लोकप्रियता को देखते हुए दुर्ग जिले के नगरीय निकायों में 12 मिलेट्स कैफे शुरू किए जाएंगे. यहां मिलेट्स से बनने वाले लोकप्रिय व्यंजन लोगों के लिए उपलब्ध होंगे. इसका संचालन एनयूएलएम से जुड़े महिला समूह के उद्यमी करेंगी. मिलेट्स व्यंजनों के विशेषज्ञ शेफ इन्हें व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण प्रदान करेंगे. मिलेट्स कैफे के संबंध में बैठक में दुर्ग डीएम पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने अधिकारियों से विस्तार में चर्चा की.
जानिए डीएम ने क्या कहा
डीएम ने कहा कि इसके साथ ही मिलेट्स ऑन व्हील्स भी तैयार करें, ताकि मिलेट्स के पौष्टिक व्यंजनों को और लोकप्रियता मिल सके और उद्यमियों के लिए अच्छे अवसर पैदा हो सके. डीएम ने कहा कि भिलाई में 2 और बाकी नगरीय निकायों में एक मिलेट कैफे आरंभ होगा. उन्होंने कहा कि मिलेट के व्यंजन काफी स्वादिष्ट होते हैं और दुर्ग के नागरिकों के लिए भी यह खास अनुभव होगा. इसी तरह जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भी जैविक सीमार्ट आन व्हील भी निकट भविष्य में आरंभ किया जाएगा.
महिलाओं को दिया गया ट्रेनिंग
इसके लिए जिले के सभी नगरीय निकाय के स्व सहायता समूह की महिलाओं को रायगढ़ से आए हुए मास्टर ट्रेनर रोहिणी पटनायक एवं एनूल नाहर ने प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में दुर्ग, भिलाई, चरोदा, रिसाली, उतई, धमधा, अहिवारा एवं भिलाई निगम की उपस्थित स्व सहायता समूह की महिलाओं को मिलेट जैसे कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा सहित अन्य अनाजों से के बनने वाले उत्पाद जैसे डोसा, इडली, सांभर बड़ा, चीला एवं फरा इत्यादि बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया.
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