यूं तो छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में कई ऐसी योजनाएं शुरू की है. जिससे प्रदेश के लोगों को काफी लाभ मिल रहा है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक महिलाओं का ग्रुप चला रहा है. इस योजना के जरिए ये ग्रुप हजारों रुपए की कमाई भी कर रहा है. दरअसल दुर्ग जिला के थनोद गांव में 10 महिलाओं का एक ग्रुप जिसका नाम है अमर महिला स्वसहायता समूह मुर्गी पालन कर रहे हैं. इस मुर्गी पालन को शुरू करने के लिए सरकार ने शुरू में कुक्कुड़ पालन योजना के तहत 350 मुर्गी के चूजे दिए थे. इसके बाद इस समूह ने काम में रूचि दिखाते हुए बड़ी लगन से मुर्गी पालन का काम किया और इसके जरिए इन्हें 25000 रुपये का मुनाफा भी हुआ है.


ऐसे शुरू हुआ महिलाओं का समूह


वहीं महिला समूह की अध्यक्ष पूर्णिमा का कहना है कि इस सरकारी योजना के बारे में पशु विभाग के डॉक्टरों ने उन्हें बताया और इस योजना के तहत मुर्गी पालन करने की बात कही. फिर मैंने 10 महिलाओं का एक समूह बनाया और इस योजना का लाभ लेते हुए मुर्गी पालन शुरू किया. आज हमारे पास इस मुर्गी पालन से हजारों की आमदनी है और अब हम इस मुनाफे से हम फिर से मुर्गियां खरीदेंगे और खुद ही इस व्यवसाय को आगे बढ़ाएंगे.


मार्केट में अच्छी कीमत पर बिकी मुर्गियां


पशुधन विकास विभाग के सहायक शल्यज्ञ डॉ. सीपी मिश्रा ने बताया कि मुर्गी शेड से अच्छी कमाई हुई और इससे समूह की महिलाएं काफी उत्साहित हैं. हमने उन्हें वनराज प्रजाति की मुर्गियां पालने के लिए कहा था. इनकी इम्युनिटी अच्छी होती है और इनका लालन-पालन भी कठिन नहीं है. उन्होंने बताया कि ये मुर्गियां मार्केट में अच्छी कीमत में बिकी है.उन्होंने बताया कि सोनाली और वनराज जैसी प्रजाति इसके लिए बेहतर होती है.


वैक्सीनेटेड होते है सभी चूजे


यहां के कार्य की मानिटरिंग कर रहे पशुधन विभाग के फील्ड आफिसर डॉक्टर देखमुख ने बताया कि जब बैकयार्ड कुक्कुट योजना के अंतर्गत चूजे दिए जाते हैं तो इनकी आयु 28 दिनों की होती है. मुर्गी शेड में आने पर ये चूजे लंबे सफर से थके हुए रहते हैं. इन्हें तरोताजा करने के लिए आते ही गुड़ खिलाया जाता है. इससे इनकी थकान दूर होती है और मल्टी विटामिन की डोज शुरू हो जाती है. चूजे वैक्सीनेटेड रहते हैं. जिससे इनमें बीमारियों की आशंका कम होती है.


ये भी पढ़ें-


Tomato Price: जानिए दिल्ली में पिछले एक साल में टमाटर की कीमतों में कितना इजाफा हुआ?


Jodhpur News: जोधपुर का मिर्ची वड़ा भी कम नहीं, हर महीने करीब 1 करोड़ रुपये का बिजनेस