Durg News: छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान की खरीदी शुरू हो चुकी है. किसान बड़ी संख्या में धान बेचने के लिए खरीदी केंद्रों पर पहुंच भी रहे हैं. लेकिन किसानों को अब गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल अनाज की पैदावार ज्यादा होने पर किसान धान कोचिओं को बेचने पर मजबूर हैं. आप सोच रहे होंगे हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? किसान धान को कोचिओं के हाथों बेचने पर क्यों मजबूर हैं?
आज एबीपी न्यूज़ की टीम दुर्ग के विधानसभा क्षेत्र औंधी धान खरीदी केंद्र पहुंची. टीम ने धान खरीदी और किसानों को मिलनेवाली सुविधा का जायजा लिया. जायजे के दौरान धान खरीदी केंद्र में सारी सुविधा होने का पता चला. इसकी पुष्टि देवबलोदा निवासी किसान रमेश कुमार ने बाचतीच के दौरान की. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से 1 एकड़ में 14 क्विंटल 80 किलो धान बेचने का ही मानक निर्धारित किया गया है लेकिन इस बार धान की अधिक पैदावार होने से धान खरीदी केंद्र में नहीं बेच सकता. उन्होंने कहा कि इसलिए मैं धान कोचिओ को औने पौने दाम में बेचने को मजबूर हूं. बता दें कि सरकारी मानक के अनुसार हर किसान को 1 एकड़ की खेत से 14 क्विंटल 80 किलो धान बेच सकता है और अधिक धान पैदा होने पर धान खरीदी केंद्र में नहीं लिया जाता.
ऐसे में किसानों की शिकायत है कि बचे धान कोचिओ को औने पौने दाम पर बेचने की मजबूरी है. इस साल प्रदेश में धान की बंपर पैदावार हुई है और किसान 1 दिसंबर से लगातार धान खरीदी केंद्र धान बेचने आ रहे हैं. लेकिन धान खरीदी केंद्र में अधिक धान के जमा होने से अब जगह कम पड़ गए हैं. औंधी धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक हरीश वर्मा का कहना है कि बड़ी तादाद में किसान धान बेचने आ रहे हैं और लगातार हम धान की खरीदी भी कर रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी समस्या अब परिवहन की पैदा हो गई है क्योंकि धान खरीदी केंद्र में बड़े पैमाने पर धान आने से जगह कम पड़ गई है. अगर जल्द ही धान का परिवहन नहीं किया गया तो आने वाले समय में धान खरीदने में बहुत बड़ी समस्या का सामना कर पड़ सकता है.