Chhattisgarh: बारिश के मौसम से पहले ही गांव की गर्भवती महिलाओं को छोड़ आते हैं अस्पताल, वजह कर देगा हैरान
Bridge Pool problem: बेड़ा गांव के ग्रामीण प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद सुनवाई नहीं होता देख खुद मारकंडे नदी मेंलकड़ी के पुल कानिर्माण कर रहे हैं. इसके लिए ग्रामीणों ने घर घर सेचंदा इकट्ठा किया है.
Chhattisgarh News: बारिश का मौसम आते ही छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) संभाग के ग्रामीण अंचलों से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है जिसने सरकार के विकास के दावों की पोल खोल दी है, कई ग्रामीण उफनते नदी को अपनी जान जोखिम में डालकर डोंगी से पार कर रहे हैं तो कई ग्रामीण खुद ही लकड़ी का अस्थाई पुल बनाकर इस पुल से आवाजाही कर रहे हैं , जिससे कभी भी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है. बीते साल ही सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर के अलावा कोंडागांव इलाके से ऐसी तस्वीरें निकलकर सामने आई जिसमें ग्रामीण अपने बच्चों को बड़े-बड़े पतीले में डालकर नदी पार करते दिखाई दिये, इन तस्वीरों के सामने आने के बाद दावा किया गया कि एक साल में ही ऐसे गांवों को चिन्हांकित कर नदी नालों पर पुल का निर्माण किया जाएगा, ताकि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर उफनते नदी नाले को पार करने में मजबूर ना हो सके, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. कोंडागांव जिले के माकड़ी तहसील के अनंतपुर गांव के कोटरलीबेड़ा से एक ऐसी तस्वीर निकल कर सामने आई है जिसमें ग्रामीण खुद नाला को पार करने के लिए लकड़ी का अस्थाई पुल बना रहे हैं, कई बार शासन प्रशासन औरजनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बावजूद नाला में पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीण चंदा इकट्ठा कर लकड़ी के पुल का निर्माण कर रहे हैं, ताकि उन्हें बरसात के मौसम में अपने गांव से ओड़िसा की ओर जाने के लिए जूझना ना पड़े. हालांकि लकड़ी का कमजोर पुल होने की वजह से कभी भी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है.
बारिश के मौसम से पहले बीमार लोगो को छोड़ना पड़ता है अपना गांव
दरअसल, कोंडागांव जिला चारों ओर नदी नाला से घिरा हुआ है बारिश के समय में नदी और नाला पूरे उफान पर रहते है, जिले के अंदरूनी गांव के ग्रामीण बाढ़ की समस्या से जुझते हैं, कई गांव बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते है, बारिश का मौसम आते ही कोंडागांव जिले में ऐसे हालात दिखने शुरू हो गए है, खास बात यह है कि पूरे बारिश के मौसम तक कई गांव के लोग शहर से पूरी तरह से कट जाते हैं, स्वास्थ सुविधा से लेकर राशन पानी को लेकर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, अनंतपुर गांव के कोटरलीबेड़ा के ग्रामीण भी लंबे समय से नाला में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग की कोई सुनवाई नहीं हो रही है, बार-बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई ना होता देख ग्रामीण हर घर से चंदा इक्कठा कर खुद नाला में लकड़ी का अस्थायी पुल बना रहे है, ताकि इस मानसून में थोड़ी बहुत राहत मिल सके. ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में नदी नाले उफान पर रहते हैं और पहुंच विहीन मार्ग होने की वजह से उनके गांव तक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंचती है, इस वजह से कई बार गंभीर रूप से बीमार ग्रामीण और गर्भवती महिलाओं को गांव छोड़ना पड़ता है और दूसरे गांव में या फिर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, ताकि स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में उनकी जान ना जा सके.
चंदा इक्कठा कर ग्रामीण कर रहे अस्थायी पूल का निर्माण
अनंतपुर गांव के सरपंच ने बताया कि कोटरलीबेड़ा अनंतपुर का आश्रित गांव है, इस गांव की आबादी लगभग 400 है, यह गांव छत्तीसगढ़ और ओड़िसा के बॉर्डर में मौजूद है. इस वजह से इस गांव से उड़ीसा के सिलाटी गांव की दूरी 5 किलोमीटर है, जबकि अनंतपुर की दूरी 10 किलोमीटर है. अपनी रोजमर्रा के सामान यहां के ग्रामीण उड़ीसा के सिलाटी बाजार से खरीद लेते हैं, खासकर बरसात के मौसम में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है और शहरी क्षेत्र का संपर्क भी इस गांव से टूट जाता है. सालों से ग्रामीण नाला में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है, लिहाजा खुद ग्रामीण घर घर से चंदा इकट्ठा कर नाला में अस्थाई लकड़ी का पुल बना रहे हैं. जिससे यहां के ग्रामीण उड़ीसा के सिलाटी गांव तक पहुंच सके. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने की वजह से उन्हें गंभीर रूप से बीमार ग्रामीणों को और गर्भवती महिला को कावड़ में बैठकर 10 किलोमीटर तक पैदल चल अनंतपुर तक ले जाना पड़ता है, और बरसात का मौसम आने से 1 महीने पहले ही गांव के सभी गर्भवती महिलाओं को उड़ीसा या कोंडागांव जिले के अस्पताल में छोड़ दिया जाता है, ताकि उन्हें एन प्रसव के वक्त दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.
अधिकारियों ने कहा- जल्द पहुँचेगी गांव में सुविधा
इधर इस मामले में कोंडागांव जिला पंचायत के सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा ने बताया कि कोटरलीबेड़ा गांव में मूलभूत समस्या के साथ खासकर नाला में पुल की समस्या बनी हुई है, उनके समाधान के लिए वन विभाग को निर्देशित किया गया है, क्योंकि कोटरलीबेड़ा का इलाका रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में है, ऐसे में सड़क निर्माण का कार्य वन विभाग के माध्यम से ही किया जाना है, सड़क बनाने का सर्वे कार्य शुरू किया गया है ,इसके समाप्ति के बाद मनरेगा के माध्यम से अनंतपुर से कोटरलीबेड़ा गांव तक सड़क निर्माण का कार्य किया जाएगा ,और नाला पुल बनाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि सड़क बनने के बाद गांव में अन्य मूलभूत सुविधाएं ,स्वास्थ्य केंद्र आंगनबाड़ी ,जल्द से जल्द गांव में बनाया जाएगा,इधर इस साल भी मानसून के मौसम में एक बार फिर ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.