Chhattisgarh Eye Flu News: छत्तीसगढ़ में इन दिनों तेजी से आई फ्लू( Eye Flu) फैल रहा है. यह एक मौसमी बीमारी होती है. आई फ्लू से सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित हो रहे है. छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे आई फ्लू के संक्रमित मरीज बढ़ते जा रहे हैं. जिसको देखते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग(Chhattisgarh Health Department) ने आई फ्लू की रोकथाम और बचाव के लिए शिक्षा विभाग(Education Department) और आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास विभाग को पत्र लिखकर सावधानियां बरतने और गाइडलाइन जारी किए हैं.
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने आई फ्लू(कंजक्टिवाइटिस) की रोकथाम के लिए स्कूल शिक्षा और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के संचालक को परिपत्र जारी किया है. स्वास्थ्य विभाग ने दोनों विभागों को स्कूलों, छात्रावासों, आवासीय विद्यालयों तथा आश्रम-छात्रावासों में कंजक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आवश्यक निर्देश प्रसारित करने को कहा है. स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को इस संक्रमण के लक्षणों, उपचार और बचाव की जानकारी देने भी कहा है.
शिक्षा विभाग करेगा बीमारी के रोकथाम के लिए प्रचार
छत्तीसगढ़ महामारी नियंत्रण संचालक ने स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को जारी परिपत्र में कहा गया है कि राज्य में मौसम के कारण आई फ्लू (आँख आने की बीमारी) (कंजक्टिवाइटिस) बढ़ गई है. यह सम्पर्क से फैलने वाली बीमारी है जो सघन रहवासी क्षेत्र में अधिक फैलता है. राज्य में संचालित विद्यालय, आवासीय विद्यालय, आश्रम-छात्रावास एवं छात्रावास में छात्र-छात्राएं समूह में रहते हैं जिनमें यह बीमारी फैल सकती है. उन्होंने दोनों विभागों द्वारा संचालित संस्थाओं में इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक निर्देश प्रसारित करने को कहा है.
जानिये आई फ्लू के लक्षण
महामारी नियंत्रण संचालक ने अपने जारी किए गए पत्र में कहा है कि कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों, उपचार और इससे बचाव के बारे में भी जानकारी दी है. उन्होंने पत्र के जरिये कहा है कि कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है. जिसे हम आँख आना भी कहते हैं. इस बीमारी में रोगी की आँख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आँसू आते हैं, चुभन होती है तथा कभी-कभी सूजन भी आ जाती है.
जानिए आई फ्लू से बचाव
आई फ्लू (कंजक्टिवाइटिस) होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसे जेंटामिसिन (Gentamicine), सिप्रोफ्लॉक्सिन (Ciprofloxacine), मॉक्सीफ्लॉक्सिन (Moxifloxacin) आई ड्रॉप आँखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए. तीन दिनों में आराम न आने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है. ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है. अन्यथा गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है. आई फ्लू की जाँच और उपचार के लिए चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है.
यह सावधानी बरतने की है जरूरत
आई फ्लू (कंजक्टिवाइटिस) संक्रामक बीमारी है जो सम्पर्क से फैलती है. इसलिए मरीज को अपनी आँखों को हाथ न लगाने की सलाह देनी चाहिए. रोगी से हाथ मिलाने से बचकर एवं उसकी उपयोग की चीजें अलग कर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है. संक्रमित आँख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है. यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है.