Chhattisgarh News: छत्तीसगढ की बीजेपी सरकार से बलरामपुर जिले के किसान नाराज नजर आ रहे है. दरअसल, किसान कैबिनेट बैठक में धान खरीदी के समर्थन मूल्य का निर्णय नहीं हो पाने से मायूस है. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर ही बीते 1 नवंबर से धान की खरीदी की जा रही है. वहीं दूसरी ओर नए समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर भी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है. ऐसी स्थिति में किसानों में संशय बना हुआ है. 


‘2 हजार 203 रुपए क्विंटल की दर पर हो रही है धान खरीद’
जानकारी के अनुसार, पूर्ववर्ती सरकार के आदेश के तहत मोटा धान 2 हजार 183 रुपए और पतला धान 2 हजार 203 रुपए क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है. बताया गया है कि यह राशि दो-तीन दिन में कर्ज काटकर किसानों के खाते में पहुंच भी रही है. कांग्रेस सरकार द्वारा धान खरीदी की शेष अंतर की राशि बोनस समेत राजीव गांधी न्याय योजना के तहत प्रति क्विंटल करीब 9 हजार रुपए किसानों को चार किस्तों में दी जाती रही है. 


असमंजस में किसान समर्थन मूल्य मिलेगा या नहीं?
वहीं नवनिर्वाचित बीजेपी सरकार ने अपने चुनावी घोषण पत्र में दो साल का बकाया बोनस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर को देने का वादा किया है. यही नहीं बीजेपी ने धान खरीदी प्रति एकड़ 21 क्विंटल और 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा किया है. परंतु किसान इस असमंजस में हैं कि बीजेपी सरकार द्वारा घोषित यह समर्थन मूल्य उन्हें मिलेगा या नहीं? बलरामपुर जिले के किसानों के अनुसार प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने अपनी कैबिनेट की बैठक में दो साल के बकाया बोनस को देने का फैसला तो कर दिया है किन्तु धान समर्थन मूल्य 3100 रुपए एक मुश्त भुगतान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है और ना ही समितियों द्वारा नए रेट पर धान खरीदी को लेकर कोई जानकारी दी जा रही है. 


‘अभी तक नहीं आई कोई गाइडलाइन’
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर किसी प्रकार की गाइडलाइन नहीं आई है. ऐसे में पुरानी सरकार द्वारा निर्धारित दर से ही समितियों में धान की खरीदी की जा रही है. बीजेपी ने 3100 रुपए क्विंटल में धान खरीदी की घोषणा की है. लेकिन इसके लिए अभी आदेश नहीं आया है. फिलहाल किसानों में यह आस जगी हुई है कि 300 रुपए बोनस के हिसाब से राशि का वितरण किया जा सकता है। इससे किसानों को काफी कुछ राहत मिल सकेगी. 


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