Bastar News: देश मे एक तरफ जहां उद्योग लगाने के लिए और वनों की तस्करी के लिये अंधाधुंध पेड़ो की कटाई हो रही है. छत्तीसगढ़ के सघन वन क्षेत्र के लिए पहचाने जाने वाले बस्तर में भी वनो की कटाई चरम सीमा पर है. और इस कटाई को रोकने के लिए लगातार बस्तर के आदिवासी सरकार से लड़ाई लड़ रहे है और वनों को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं . वहीं दूसरी तरफ बस्तर में ऐसे भी किसान हैं जो पर्यावरण को बचाने के लिए 25 गांवो के किसान समूह के साथ 7 लाख पौधे लगाकर पर्यावरण के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं साथ ही इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाने के लिए किसानो को प्रेरित कर प्रदेश में रिकॉर्ड बना चुके हैं.
दरअसल छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के चिखलपुटी गांव के रहने वाले राजाराम त्रिपाठी साइंस में ग्रेजुएट है और पेशे से किसान हैं. राजाराम हमेशा से ही नए-नए प्रयोग की खेती के लिए भी पूरे प्रदेश में जाने जाते हैं. राजाराम ने जैविक और हर्बल खेती के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी रोजगार से जोड़ा है. साथ ही किसानों को उपयोगी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते आ रहे हैं. ताकि उन्हें तत्कालिक फायदे भी मिले ऐसा ही कर वे अब तक 25 गांव के किसानों को जोड़कर 7 लाख से अधिक पौधे लगवा चुके हैं.
10 एकड़ में बनाया हर्बल गार्डन
बस्तर के उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी का कहना है कि लोग केवल पर्यावरण संरक्षण की बात करेंगे तो उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा .आज सबसे बड़ी समस्या गर्म हवाएं हैं. और पेड़ पौधों के लिए जमीन में नाइट्रोजन की सख्त जरूरत है. इसलिए उन्होंने एक ऐसा मॉडल तैयार कर कुछ पेड़ों को चिन्हित किया जो इन दोनों समस्या के लिए कारगर साबित हो रही है. और अब इस मॉडल को कई प्रदेशों में भी लागू किया जा रहा हैं. उन्होंने बताया कि चिखलपुटी गांव में अपने 10 एकड़ की जमीन पर उन्होंने हर्बल गार्डन तैयार किया है. और इसमें 340 तरह की विलुप्त प्राय जड़ी बूटियां लगाई है. इस गार्डन से पर्यावरण की रक्षा हो रही है साथ ही बाहर से आये किसानों और आयुर्वेदिक डॉक्टर को भी यहाँ आने के लिए यह जगह प्रेरित कर रही हैं .
राजाराम ने बताया कि हर किसान के पास खेत है अगर वे अपने खेत के माध्यम से पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास करते हैं तो जरूर सफलता मिलेगी . किसान पर्यावरण की रक्षा करने के साथ साथ लाभ भी कमा सकते है.किसानों को पर्यावरण के रक्षा के लिए अन्य पौधे के साथ ही ऐसी फसलों को उगाना चाहिए जिससे किसानों को तत्कालिक फायदा मिल सके. जिससे किसानो की कमाई भी हो और पर्यावरण संरक्षण भी हो सके....
पर्यावरण सरंक्षित के लिए ऐसे आया आइडिया
किसान राजाराम ने बताया कि 25 साल पहले जब जड़ी बूटियों की खेती उन्होंने शुरू की थी तो कोई सफलता नहीं मिली. क्योंकि वह कृत्रिम खाद डालकर इसे तैयार कर रहे थे. लेकिन जड़ी बूटियां जंगलों में अलग-अलग तरह के पेड़ पौधों के बीच उगती है. उनकी पत्तियों और टहनियो का भी अंश उनमें जाता है. इसलिए उन्हें ऐसा लगा कि पर्यावरण को अगर संरक्षित नहीं किया गया और पेड़ों की संख्या नहीं बढ़ी तो आने वाले दिनों में और परेशानी बढ़ सकती है .
इसलिए उन्होंने अपने साथ-साथ आसपास के करीब 25 गांवों के किसानों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया और अब तक उन्होंने किसानों के समूह को प्रेरित करते हुए 7 लाख से अधिक पौधे लगवाया. और इसमें कई पौधे किसानों के लिए तत्कालिक लाभदायक भी साबित हो रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी का कहना है कि गर्म हवा और नाइट्रोजन रोकने वाले इस मॉडल को छत्तीसगढ़ के साथ-साथ सभी प्रदेशों में भी लागू किया जाए तो पर्यावरण को संरक्षित करने में यह उपयोगी साबित होने के साथ किसानों के लिए भी लाभदायक होगा..