Raipur: छत्तीसगढ़ में अक्ति त्योहार यानी अक्षय तृतीया का अच्छा माहौल रहता है. आज के दिन छत्तीसगढ़ में गुड्डा-गुडिया (पुतरा- पुतरी) की शादी करने की परंपरा है. आज ही के दिन से राज्य सभी मांगलिक कार्य के लिए शुभ माना जाता है. इस लिए राजधानी रायपुर का बाजार अक्ती त्योहार के लिए सज गया है. गुड्डे-गुडिया की जमकर बिक्री हो रही है.



अक्ती त्योहार को पुतरा पुतरी की शादी कराई जाने की है परंपरा
दरअसल, छत्तीसगढ़ में मंगलवार को गांव से लेकर शहर तक अक्ती त्योहार का रंग दिखाई दे रहा है. मांगलिक कार्य के अलावा किसान आज के दिन माटी पूजन दिवस के रूप में मनाते है. किसानों के लिए भी अक्षय तृतीया काफी अहम है. महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने पहले अक्ती त्योहार की मान्यता को लेकर बताया कि छत्तीसगढ़ में किसान अपने भरण पोषण और जीवनयापन के लिए अन्न को केवल वस्तु नहीं मानते बल्कि अन्नपूर्णा माता के रूप में उसकी पूजा करते है.


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पानी के पहरेदार दिनभर नहीं करते किसी से बात
उत्तराखंड़ में प्राचीन परंपरा है कि अक्ती के पहले रात में एक मटकी में पानी भरकर देवस्थल में रखा जाता है. पानी के पहरेदारी के लिए किसी एक व्यक्ती को जिम्मेदारी दी जाती है. दूसरे दिन सुबह इस मटकी के पानी को गांव के सभी किसान लेकर जाते और इसके बदले किसान अन्न सामग्री देते है. पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया कि पानी देने वाला इस दिन सात्विक ब्रम्हचर्य में रहता है और दिनभर किसी से बात नहीं करता है. पानी ले जाने वाले किसान पानी को आंगन,बड़ी, घर, गोशाला,खेत में छिड़काव करते है. इसके पीछे मान्यता है कि वरुण देव से मन्नत होती है. खरीफ फसल के लिए पर्याप्त बारिश हो और फसल को बीमारी से बचाने के कामना की जाती है.


क्यों खास है अक्षय तृतीया
आज से अगले कई महीनो तक लगातार शादियों के लिए शुभ माने जाते हैं. पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि कई मांगलिक कार्य के लिए अक्षय तृतीया शुभ होता है. भारतीय सनातन संस्कृति में अक्षय तृतीया को अत्यधिक महत्व दिया जाता है. उन्होंने शास्त्रीय मान्यता के अनुसार बताया कि इस दिन रामायण और महाभारत की कई घटनाएं हुई थी.


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