Chhattisgarh News: पहली बार गौठान में पाली जा रही हैं उच्च नस्ल की उस्मानाबादी बकरियां, जानिए इनकी खासियत
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बकरीपालन को बढ़ावा देने के लिए अब तक का सबसे बड़ा नवाचार किया गया है. यहां अब गौठानों में ही उस्मानाबादी बकरियों का प्रजनन शुरू किया जाएगा.
Durg News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh ) में पहली बार दुर्ग जिला के गौठानो में उच्च नस्ल की बकरियां पाली जा रही हैं. उच्च नस्ल के बकरीपालन की दिशा और हितग्राहियों को बढ़ावा देने की दिशा मे दुर्ग (Durg) जिला प्रशासन एक बड़ा कदम उठाया है. अब गौठानों में ही उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध कराने के लिए उस्मानाबादी बकरियों का प्रजनन शुरू किया जाएगा.
ये प्रजनन केंद्र कामधेनु विश्वविद्यालय के उपकेंद्र के रूप में काम करेगा. इसके लिए 25 बकरियों और 2 बकरों की एक यूनिट की पहली खेप दी गई है. कामधेनु विश्वविद्यालय के उस्मानाबादी बकरी सीड सेंटर के सामने कुलपति डा. एनपी दक्षिणकर ने ये यूनिट उपसंचालक पशुधन विकास विभाग डा. राजीव देवरस को सौंपी.
यहां का वातावरण अनुकूल
जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप उच्च नस्ल के पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा के निर्देश पर यह काम शुरू किया गया है. उस्मानाबादी बकरियां हमारे यहां के वातावरण के लिए अनुकूलित हैं. बकरीपालन के क्षेत्र में किसानों के ज्यादा रुचि नहीं लेने का कारण ये था कि यहां उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध नहीं थीं. इन्हें बाहर से मंगवाना होता था और लाने का ही काफी खर्चा हो जाता था.
पशुपालकों को अब मिलेगी उच्च नस्ल की बकरियां
अब गौठान से ही पशुपालक ये उच्च नस्ल की बकरियां ले जा सकेंगे. इससे बकरीपालन को लेकर जिले में बढ़िया वातावरण बनेगा. आपको बता दें कि दुर्ग जिले में इससे पहले हैचरी यूनिट स्थापित किये गये हैं. जिसके माध्यम से मुर्गीपालकों को उच्च नस्ल की मुर्गियां दी की जा रही हैं. और ये प्रयोग बेहद सफल रहा है. इसके बाद रायपुर और जशपुर जिले में भी हैचरी यूनिट स्थापित की गईं और इससे मुर्गीपालन का बढ़िया माहौल बना है.
जानिए उच्च नस्ल की बकरियों की खासियत
कुलपति डा. दक्षिणकर ने बताया कि उस्मानाबादी प्रजाति की बकरियों की ट्विनिंग रेट मतलब दो बच्चे देने की क्षमता लगभग 47 प्रतिशत तक होती है. डा. दक्षिणकर ने बताया कि इस क्षेत्र का क्लाइमेट भी इनके अनुकूल हैं. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है. बेहतर तरीके से पालन हो तो इनकी ग्रोथ काफी तेज होती है. बकरीपालन से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में भी अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तरह की प्रजाति उपयुक्त होती हैं. उदाहरण के लिए सरगुजा की बात करें तो यहां ब्लैक बंगाल काफी उपयुक्त है. इसी तरह दुर्ग जिले के वातावरण के लिए उस्मानाबादी काफी उपयुक्त हैं.
ईद पर ज्यादातर इसी नस्ल के बकरे हैं बिकते
छत्तीसगढ़ में बकरीपालन को बढ़ावा देने के लिए अब तक का सबसे बड़ा नवाचार किया गया है. यूनिवर्सिटी के बाहर भी अब प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है. बकरीपालन को बढ़ावा देने वाले इस इनिशिएटिव से लोग अब आसानी से इस ओर बढ़ेंगे. उस्मानाबादी बकरे ईद में भी काफी खरीदे जाते हैं. कुछ साल पहले खुर्सीपार में सुल्तान नाम का चर्चित बकरा आया था. ये इसी नस्ल का था. खूब अच्छी परवरिश से इस नस्ल के बकरे एक लाख रुपये तक भी बिक जाते हैं.
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