Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना पर पहली बार शोध, राजनांदगांव के शोधकर्ता को मिलेगी डिग्री
शोधकर्ता एस कुमार को 'ग्रामीण समाज में नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के सामाजिक महत्व का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन' विषय पर दुर्ग के हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की तरफ से पीएचडी की डिग्री मिलेगी.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पहली बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Bagehl) की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना (Narva Garva Ghurwa Bari Yojana) पर शोध हुआ है. शोध करनेवाले युवक को बहुत जल्द पीएचडी (PhD) की उपाधि मिलने जा रही है. राजनांदगांव (Rajnandgaon) निवासी एस कुमार नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के शोधकर्ता हैं. उद्देश्य पूर्ण निर्देशन पद्धति के तहत शोध को अंजाम दिया गया है. सुराजी ग्राम योजना (Suraji Gaon Yojana) संचालित विकासखंड के 10 गांवों का चयन कर शोध किया गया है. छुईखदान, खैरागढ़ और राजनांदगांव तीनों ब्लॉकों के कुल 450 उत्तर दाताओं से 25 प्रश्नों का जवाब मांगा गया था. पद्धति में सभी उत्तर दाताओं का सुराजी ग्राम योजना से जुड़े होने का विशेष ख्याल रखा गया है. आदर्श गौठान स्व सहायता समूह की महिलाओं और लाभार्थियों के विचार को शोध में शामिल किया गया.
इस महत्वकांक्षी योजना पर पहली बार शोध
शोधकर्ता एस कुमार को 'ग्रामीण समाज में नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के सामाजिक महत्व का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन' विषय पर दुर्ग के हेमचंद यादव विश्वविद्यालय (Hemchand Yadav Vishwavidyalaya) की तरफ से पीएचडी की डिग्री मिलेगी. शोधकर्ता एस कुमार ने बताया कि साल 2019 में सरकार की योजना लागू होते ही लोक जीवन और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े विषय पर शोध शुरू कर दिया था. अब साल 2022 में शोध विषय पूरा कर लिया है. गुरुवार को वायवा पूरा हो गया है. अब आने वाले दीक्षांत समारोह में योजना पर शोध करने के लिए पीएचडी की डिग्री मिलेगी.
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नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी पर मिलेगी डिग्री
शोध विषय के बारे में जानकारी देते हुए शोधकर्ता एस कुमार कहते हैं कि उन्हें शुरू से ही लोक जीवन और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे पर रिसर्च करने की इच्छा थी. शोध का विषय खोज रहे थे. इस बीच 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी की शुरुआत हुई. योजना पर शोध करने की इच्छा गाइड डॉ सपना शर्मा को बताई. कई सुझावों के बाद नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना का विषय चयन किया गया. गौवंश के संरक्षण, महिलाओं की आत्मनिर्भरता और जैविक खेती को बढ़ावा देने के कारण विषय सीधे लोक जीवन से जुड़ा है.