Chandameta: 15 अगस्त के मौके पर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में आजादी के 75 साल बाद घोर नक्सल प्रभावित गांव चांदामेटा में तिरंगा लहराया गया. बस्तर का अंतिम छोर और छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सरहदी इलाके चांदामेटा में बड़े उत्साह के साथ ग्रामीणों ने ध्वजारोहण किया..इससे पहले यहां के ग्रामीणों ने कभी अपने राष्ट्रीय पर्व को नहीं मनाया. पिछले 4 दशकों से नक्सलियों के ख़ौफ़ में जीने के चलते यहां स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कभी झंडा नहीं फहराया गया, लेकिन कुछ महीने पहले ही यहां पुलिस कैम्प खोले जाने के बाद नक़्सली बैकफुट में आये और यहां आजादी के 75 साल बाद ग्रामीणों ने बड़े शान से तिरंगा लहराया.
पुलिस कैम्प खोंलने के बाद ग्रामीणों का बढ़ा भरोसा
बस्तर के नक्सलगढ़ में आज़ादी के 75 साल बाद पहली बार देश का तिरंगा ध्वज शान से फहराया गया. बस्तर में हो रही मूसलाधार बारिश के बीच बढ़ चढ़कर ग्रामीणों ने ध्वजारोहण में हिस्सा लिया. वहीं, नक्सलगढ़ में पहली बार तिरंगा लहराना पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. दरअसल बस्तर जिले का चांदामेटा इलाका अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र है, इस क्षेत्र को नक्सलियों का गढ़ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां तक पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण है. यही कारण है कि यह इलाका नक्सलियों का गढ़ बन गया था, लेकिन कुछ समय से पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते इस इलाके में नक्सली बैकफुट पर हैं, जिसके चलते आजादी के 75 साल बाद राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा इस गांव में शान के लहराया गया.
कभी नक्सली यहां फहराते थे काला झंडा
ग्रामीणों ने बताया कि अब से पहले इस इलाके में हमेशा से नक्सलियों की मौजूदगी हुआ करती थी. नक्सली यहां काला झंडा फहराया करते थे, लेकिन पहली बार तिरंगा फहरते हुए देख उन्हें काफी खुशी का ऐहसास हो रहा है. वहीं इस मौके पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि यहां तक पहुंचने में पहले एक सप्ताह का समय लगता था, धीरे धीरे पुलिस यहां पहुंची और ग्रामीणों का विश्वास पुलिस के प्रति बढ़ा, यही कारण है कि ग्रामीण अब इलाके में पुलिस का सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इस इलाके में पुलिस अंदरूनी क्षेत्रों में भी नक्सल ऑपरेशन चलाएगी जिससे कि इस इलाके को पूरी तरह से नक्सलमुक्त किया जाए, ताकि इस इलाके में सरकार की योजना और मूलभूत सुविधाओं का लाभ पहुंच सके.
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