Bastar News: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में आयोजित G20 सम्मेलन (G20 Summit) में शामिल होने आ रहे 10 राष्ट्रअध्यक्षों और विदेशी मेहमानों को छत्तीसगढ़ के बस्तर की सबसे प्रसिद्ध कला ढोकरा आर्ट के कलाकृतियां पेश की जाएंगी. बस्तर (Bastar) के आदिवासी शिल्पकारों के द्वारा बनाए जाने वाले ढोकरा आर्ट (Dhokra Art) की देश-विदेश में काफी डिमांड है. यही वजह है कि इस G20  सम्मेलन में विदेशी मेहमानों के स्वागत और सम्मान के लिए बस्तर के ढोकरा आर्ट की कला कृतियों को चुना गया है.


 आदिवासी शिल्पकारों की कलाकारी को पहचान दिलाने के लिए देश भर में शोरूम खोला गया है.जहां ढोकरा आर्ट, बेलमेटल आर्ट, शिल्प कला और काष्ट कला की एक से बढ़कर एक कला कृतियां देखने को मिलती है, और यह अच्छे दामों में भी बिकती है, बस्तर संभाग के लगभग 500 परिवार इसी कला पर निर्भर हैं और इसी काम पर आश्रित हैं. वही बस्तर के 10 से ज्यादा शिल्पकारों को उनकी इस कला के लिए देश के साथ-साथ विदेश में भी सम्मान मिल चुका है.


बस्तर के शिल्पकारों का बढ़ा मान
 बस्तर की ढोकरा आर्ट कला कई साल पुरानी है. पिछले 20  वर्षों में खासकर ढोकरा आर्ट की काफी डिमांड बढ़ी है. यहां स्थानीय कलाकारों के द्वारा काफी मेहनत कर इसे तैयार किया जाता है. ढोकरा आर्ट से कलाकृति बनाने में 15 प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है. हालांकि देश के ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी ढोकरा आर्ट से कलाकृतियां बनाई जाती है, लेकिन बस्तर की कलाकृतियों की काफी डिमांड रहती है.


इन आकृतियों में ढाली जाती है प्रतिमा
यहां की कलाकृतियों में अलग ही शाइनिंग देखने को मिलती है. बस्तर की आदिवासी संस्कृति की छाप होती है जिसमें बस्तर के देवी-देवता, हाथी, बैल, कछुआ, घोड़ा, हिरण, नंदी, और मनुष्य की आकृति की कला कृतियां होती हैं. ढोकरा आर्ट की मांग से बस्तर के शिल्पकारों ने अब देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है. यहां 800 से ज्यादा महिला और पुरुष बेलमेटल, काष्ठ कला और ढोकरा आर्ट से अलग-अलग कला कृतियां बनाने का काम करते हैं. 


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